हैप्पी मदर्स डे
हैप्पी मदर्स डे
नमस्ते मैडम,
"हमारी संस्था आप को सम्मानित करना चाहती है कि आप हमें समय दे पाएंगी",
"किस लिए" ?
"मैडम मदर्स डे है, कुछ दिनों बाद और आप हमेशा सही अनाथ बच्चों के लिए एक माँ की तरह बहुत कुछ करती हैं, कभी हमें आर्थिक तो कभी बातों का संबल देती हैं।"
"मैं आपको कल बताती हूं।"
"जी मैडम"
माँ होना मेरा सबसे सुखद एहसास था, मगर अब नहीं कुछ सालों में इतना कुछ बदल गया कि मुझे समझ में नहीं आता मैं जिंदा हूं या नहीं पता नहीं
मैं, मेरे पति बहुत शिक्षित है दोनों को समाज में एक अलग औहदा रखते थे।
मैंने कंप्यूटर शिक्षा प्राप्त की तो मैंने कंप्यूटर कोचिंग खोली पति की सरकारी नौकरी थी हमारा जीवन बहुत खुशी व सरलता से चल रहा था और एक नई खुशी हम चाहते थे और परिवार भी आखिर वह खुश भी मिल गई।
सब मेरा बहुत ध्यान रखते थे, प्रेग्नेंट होते ही मैंने गर्भ संस्कार क्लासेस कि मुझे पहले से संस्कृत श्लोक आते थे मगर उन दिनों मैंने बहुत अच्छी तरह संस्कृत सीखी, संस्कृत, ग्रंथों की भाषा सभी भाषाओं की जननी है। बच्चे में अच्छे संस्कार हो इसलिए मैंने संस्कृत की पढ़ाई कि मैं हमेशा से टॉप करती आई हूं फिर मैंने संस्कृत में भी टॉप किया।
मंत्र,भजन, मेरी आवाज़ उनकी सब बहुत तारीफ करते थे। मैंने कुछ ही महीनों में संस्कृत कोचिंग क्लासेस खोली मैं ब्राह्मण परिवार से थी बचपन से मेरी संस्कृत तो अच्छी थी अब और बेहतरीन हो गई मेरे कोचिंग सेंटर में इतनी भीड़ रहती थी कि अगले महीने की बुकिंग कराते थे। हालांकि मैं 4 ही बेच चलाती थी क्योंकि मेरी बिटिया तब कुछ ही महीनों की थी।
कई लोग जुड़ते गए आए दिन कुछ नया करना चाहती थी क्लास में, कई ग्रंथ भी मैंने पढ़ें कई पंडितों के बच्चे भी आते थे ताकि पूजा-पाठ में उनका उच्चारण सही हो, मगर ससुर जी ने कहा,
"तुम संस्कृत की जगह कंप्यूटर क्लास चलाओ" मगर मैं नहीं जानती थी, ना जाने क्या जुनून था मेरे अंदर,संस्कृत सीखने और सिखाने का पढ़ने पढ़ाने का कि मैंने अपनी बाकी कई चीजें छोड़ दी।
पति ने कहा "जो तुम्हें करना है करो, मगर बेटी का ध्यान दो"
हमारा जीवन बच्चे के बाद पूरी तरह से बदल गया हमने बेटी के आने पर बहुत धूमधाम से जलसा किया, बेटी इतनी सुंदर थी कि हर कोई उसकी तारीफ करता, लगता आसमान से परी उतर आई है।
पूर्णिमा के चाँद की तरह हमारी बेटी धीरे-धीरे बढ़ती गई उसका हँसना, बोलना, तोतलाना मानो हमारी कमज़ोरी थी।
उसके लिए मैं कई काम छोड़ देती थी, सास ससुर कई बार गाँव कुछ महीनों के लिए जाते हैं, मगर वो भी बच्ची के बिना नहीं रह पाते थे, बेटी का नाम हमने खुशी रखा और घर में से मुसु मुसु कहते थे।
मुस्कान सच में उसको देखकर खुशी होती थी और चेहरे में मुस्कान आ ही जाती थी। वह धीरे धीरे चलने लगी उसी पायल की छम छम हमें बहुत पसंद थी
घुंघरू मुझे बहुत पसंद है मैं क्लासिकल डांसर रही हूं स्कूल कॉलेज हर जगह मैंने न जाने कितने मेडल जीते, आज भी कभी मौका मिले तो मैं ज़रूर डांस करती हूं और अब खुशी तो टीवी में जब भी कोई गाना फास्ट चले डांस करने लगती है उसे डांस करना बहुत पसंद है। मैं न जाने कितने वीडियो बना चुकी हूं।
आज पहली बार खुशी कोई गाना गुनगुना रही थी "ला ला ला ,आ,आ बहुत तेज़ न जाने क्या गा रही थी हमारे घर में सब बहुत गाते है दादी के साथ रहते कोई भजन सीख गई होगी",
वैसे उसकी मस्ती बढ़ती जा रही है कभी चीजें बहुत गिरा देती है तो कभी छुपा देती है। कभी गाड़ी में सामने खड़े होती है कभी पीछे खड़े होकर चलने की ज़िद करती है। कभी पूरे टाइम हॉर्न बजाती है। कभी-कभी नेल पॉलिश और लिपस्टिक मैं लगाऊं तो पहले ही खड़ी हो जाती है "माँ मुझे भी लगाओ"
गोल घूमना तो उसका फेवरेट काम है। पापा की परी पापा आए तो माँ को तो भूल ही जाती है। पापा पहले बोलना सीखी है माँ बाद में सिखा उसने, शायद पापा ज्यादा प्यार करते है।
"नहीं ,मैं ज्यादा प्यार करती हूं"
खुशी और पापा रात का खाना साथ में खाते हैं कभी अगर पापा लेट आए तो खुशी सो जाती है मगर खाना नहीं खाती बच्चों को अगर नींद से उठा तो रोते हैं मगर खुशी को पापा उठाए तो वो हँसती है। और पापा, पापा कहकर गले लगती है। और आधी रात तक खेलते रहते हैं न जाने क्या क्या ?
अब स्कूल जाती है खुशी, खुशी ने वहां सबको खुश कर दिया हर कोई उसकी तारीफ करता है। उसका दिमाग बहुत तेज है हर बात एक बार में सीख जाती है हमेशा फर्स्ट आती है। खुशी ने एनुअल फंक्शन में इतना अच्छा डांस किया कि लोग वंस मोर वंस मोर कहने लगे, उसके एक्सप्रेशंस अदाएं काबिले तारीफ है हर कोई कहता है माँ पर गई है उसे छुट्टी में पेंटिंग सिखाइए उसकी पेंटिंग इतनी सुंदर है कि पूरा घर उसके पापा ने पेंटिंग को फ्रेम करा कर भर दिया है। उसे गाने का इतना शौक था कि पापा ने सारे म्यूजिक स्टूमेंट सीडी माइक सब लाकर दे दिया 14 साल में न जाने कितनी कलाएं सीख ली यहां तक कि उसे फोटोग्राफी का भी शौक हुआ तो पहले मोबाइल में फोटो खींचती थी फिर ज़िद करने लगी मुझे बड़ा कैमरा ला कर दो और उसके पापा ने उसे एक डीएसएनआर बड़ा सा कैमरा ला कर दिया।
हर कोई पापा को डांटने लगा, "इतनी सी बच्ची की इतनी सारी फरमाइश पूरी मत करो जिद्दी हो जाएगी"
मगर वह बच्चे की तरह ही बचपना दिखाते थे उसके साथ, उसकी फोटो कई मैगज़ीन में सेलेक्ट हुई इतनी बारीकी से वह चीजों को देखती और प्रस्तुत करती थी मानो आँखें नहीं कोई x-ray मशीन है ।
उसकी हर चीज में वह परफेक्ट थी हम दोनों गर्व से फूले नहीं समाते थे कितनी टैलेंटेड है। कम ही ऐसे बच्चे होते है।
उसके कार्यक्रम में कई प्रतियोगिताओं में तो लोग कहते थे हर बार यही फर्स्ट आती है अब इसे कहो नहीं पार्टिसिपेट करे हमारे बच्चे भी आगे बढ़े और कई बार तो मैं सच में उसे पार्टिसिपेट नहीं करने देती थी क्योंकि हर चीज में यही फर्स्ट आती थी तो बाकी बच्चों को मोटिवेशन नहीं मिल पाता था, कई बार दूसरे बच्चों के माँ -बाप हँसते हुए कहते थे "सारे मेडल अवॉर्ड ले जाएगी तो हमारे बच्चे कहां जाएंगे "?
हमारा हर संडे उसे आउटिंग में ले जाकर ही खत्म हो जाता था क्योंकि उसे फोटोग्राफी करनी होती थी पूरा कमरा पेंटिंग फोटो से भरा है हर जगह पेंटिंग उसकी उसने मुझे घर का एक कोना नहीं दिया अपना सामान रखने के लिए कभी कभी हँसी आती थी। घर तो खुशी का लगता था जो हर तरफ उसकी यादें हैं पिछले साल मदर्स डे में गिफ्ट लाई थी कई बार उसने पेंटिंग कार्ड खुद ही बनाए मेरे लिए, बेहद खूबसूरत कई बार लगता था। कोई एग्जीविशन लगा दो सारी पेंटिंग सेल हो जाएगी, मगर ईश्वर ने हमें मौका ही नहीं दिया तो केवल हम उन्हें पेंटिंग व फोटो को संभाल कर रखना चाहते हैं उसकी हर चीज को
कभी कभी याद करती हूं तो मेरी रूह कांपती है, वह मनहूस संडे था हमारा हम सब टीवी देख रहे थे खुशी डांस कर रही थी डांस करते करते अचानक गिर गई और उसे हॉस्पिटल ले गए तो पता चला "एक गंभीर बीमारी है कुछ ही दिनों बाद वह चल गयी हम सब को छोड़कर"।
यादें तो सुबह शाम हमारे साथ है। हर जगह कुछ ना कुछ खुशी ने रखा है घर का एक कोना ऐसा नहीं जहां उसकी चीजें ना हो मेरा मन अब किसी काम में नहीं लगता पति भी चुप चुप रहते हैं ऐसा लगता है जीवन में कुछ उद्देश्य ही नहीं सब मुझे वापस संस्कृत सिखाने की ज़िद करते हैं, मगर मुझे लगता है संस्कृत उसके आने से शुरू हुई और उसके जाते ही खत्म हो गई अब मैंने क्लासेस बंद कर दी हैं, कुछ सामाजिक संस्थाओं से जुड़कर कुछ सेवा काम कर लेती हूं इनका भी कुछ सालों बाद रिटायरमेंट हो जाएगा आज मदर्स डे है एक कार्यक्रम के लिए मुझे मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया गया है, इस आश्रम में हमने कई बार आर्थिक व अन्य सेवा दी है मन नहीं जाने का, मगर कई बार फोन आ चुका है सच बहुत कुछ बदल गया कुछ सालों में कई छोटे छोटे सपने हमने देखे वह सब नहीं रहे आज।
इन बच्चों के बीच पहुंची हूं तो लग रहा है काश मेरी खुशी होती, मेरी गोद में खुद ही बच्ची आकर बैठ गई कुछ पल के लिए तो मैं जीवन की सारी परेशानियां भूल गई हमें बहुत अच्छा लगा, बच्चों को माँ की कमी और मुझे बेटी की कमी थी लगा क्यों ने एक बच्ची को गोद ले लूं ,अब हाँ ना सोच ही रही थी फिर लगा में उम्र में बड़ी हो चुकी हूं एक बच्ची को संभाल पाउंगी कि नहीं? एक बच्ची को गोद लूंगी तो मुझे उसे संभालना भी पड़ेगा। हँसी आने लगी कैसे मैं रात को खुशी के डाईपर बदलती थी। खुद ही नींद खुल जाती थी। नई नई चीजें टिफिन में बनाती थी पता नहीं कहां से आईडिया आता था।
हर दिन बेटी के लिए बेहतरीन करने के लिए सोचती थी फिर आज क्यों दूर जा रही हूं क्यों मुझे डर लग रहा है पता नहीं ?
मैंने घर में कहा सब ने हामी भरी हमने कुछ कागजी कार्रवाई के पश्चात एक साल में ही इस प्यारी सी बच्ची को गोद लिया जो मेरी गोद में आकर खुद ही बैठ गई थी, शायद यही चाहती थी सच बहुत खूबसूरत लग रही है, अब सास ससुर भी हमारे साथ हैं गाँव का वह घर हमने बेच दिया।
बड़ा घर विरान सा लगता है। आज कुछ चहल-पहल लग रही है। उसे माँ ने घुंघरू वाली पायल पहना दी तो पूरे घर में छम छम की आवाज़ गूंज रही है चलते चलते वह गिर गई फिर "मम्मा मम्मा अम्मा" कहा उसने फिर से कहो, मैं बता नहीं सकती कितनी खुशी हो रही थी अब जीवन को जीने का एक नया उद्देश्य मिल गया।
मेरा मदर्स डे में जाना बहुत ही सार्थक रहा, सच में माँ बन गई बाल थोड़े सफेद हो गए हैं। हम दोनों ने योगा करना भी छोड़ दिया वॉक पर जाना भी अब थोड़े हम मोटे मोटे से लग रहे हैं, मगर अब ये हमें दौड़ा रही है इसके पीछे पीछे भाग कर शायद में वापस पतली हो जाऊं, मगर मन फिर भी चंचल हो गया अब ये भी सुबह शाम बच्ची से बातें करते हैं खेलते है। हमने उसका नाम भी मुस्कान ही रखा क्योंकि उसने सबकी खोई मुस्कान वापस लौटा दे
हम मुस्कान को एक ईश्वर का तोहफ़ा ही मानते हैं और हम इसे भी उतना ही प्यार और संस्कार देंगे, मैं माँ हूं या नहीं पता नहीं मगर फिर से मुझे ईश्वर ने एक मौका दे दिया एक अच्छी माँ बनने का ,उसे पापा ने तोतली जुबान में सिखाया हैप्पी मदर्स डे, हैप्पी मदर्स डे अब बड़े ही प्यार से मुझे कह रही है "हैप्पी मदर्स डे, हैप्पी मदर्स डे"
थैंक यू थैंक यू थैंक यू जीवन की एक नई शुरुआत हो गई एक अरसे बाद