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कश्मकश [ भाग 2 ]

कश्मकश [ भाग 2 ]

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कार एक सुनसान सड़क के किनारे आकर रुक गई। रात के 2 बज चुके थे। चारों तरफ सन्नाटा था। पीछे की सीट पर रिया ड्रग्स के प्रभाव से अब तक बेहोश पड़ी थी। उसने रिया को उठाया और सामने के मकान के अन्दर ले गया। उसने एक कमरे का दरवाज़ा खोला और रिया को धीरे से बिस्तर पर लिटा दिया। फ़िर वह उसकी सेंडल के स्ट्रेप्स खोलने मे लग गया। कमरे में सिर्फ एक टेबल लेंप की रोशनी ही थी। उसने रिया को कम्बल ओढाया और दरवाज़े की तरफ बढा। बाहर जाने से पहले उसने एक बार फ़िर कमरे को ठीक तरह से देखा। यूं तो ड्रग्स का असर रिया को आने वाले कुछ घंटों तक बेहोश रखने के लिए काफ़ी था पर फ़िर भी वह तसल्ली करना चाहता था कि अगर होश आ भी जाए तो रिया भाग न पाए। तत्पश्चात उसकी नज़र रिया पर पड़ी। उसने मन ही मन सोचा - लड़की में बला की खूबसूरती है। उसका गोरा रंग, मासूम - सा चेहरा, हिरनों जैसी बड़ी - बड़ी सुँदर आँखें, गुलाब की पँखुड़ियों जैसे होंठ - किसी का भी मन मोह लेते। उसकी रेश्मी लटें उसके चेहरे पर बिखरी हुई थी। नवयौवना का शरीर इतना सुड़ौल था मानो संगमरमर मे तराशी कोई मूरत हो। रिया की खूबसूरती उसके मन पर कैसा कहर ढा रह थी, रिया इस बात से अनजान बिस्तर पर बेसुध पड़ी हुई थी। 

     

रिया ने धीरे - धीरे आँखें खोली तो सूरज की तेज़ किरणें उसकी आँखों पर पड़ी। उसने सोचा आज माँ ने उसे उठाया क्यों नहीं ? रोज़ तो सवेरे ही उठा देती थी। उसका सिर दर्द से फटा जा रहा था। वह उठ कर बिस्तर पर बैठ गई और पुकारने लगी,

"माँ ! माँ !कहाँ हो ?"

उस पर अब भी ख़ुमारी छाई हुयी थी। उसने अपनी अधखुली आँखों से चारों ओर देखा। पर ये तो उसका कमरा नहीं था। ये कहाँ आ गयी थी वो ? तभी कुछ दृश्य उसके मन में कौंध गए - रात को रेलवे स्टेशन पर अकेले हो जाने का डर, फ़िर उस से भी भयानक किसी ताकतवर पुरूष की भुजाओं में छटपटाने की बेबसी। उसके बाद उस रुमाल की मादक गन्ध और फ़िर कुछ धुंधली यादें - नक़ाब में छिपा एक चेहरा जिसने रिया की चेतना का हरण कर उसे अपने बस में कर लिया था। फ़िर वो नाम सेहगल...ये सेहगल कौन है जिसकी बेटी की बात किडनैपर कर रहा था ? कहीं रिया को कोई और तो नहीं समझ लिया उसने ? और फ़िर वो जंगल...और वो ड्रग्स का इन्जेक्शन...उसे अपनी बाँह पर चुभायी गयी सुई से हुए दर्द का फ़िर से एहसास हुआ और वह चीख उठी। उसकी चीख सुनकर दो लोग दौड़ते हुए कमरे में आए। एक अधेड़ उम्र का व्यक्ति और एक युवक जिसकी आयु लगभग 25 वर्ष होगी। 

"मुझे जाने दीजिए प्लीज़, मेरे माँ - बाबा परेशान हो रहें होंगे। मेरी माँ दिल की मरीज़ है। उन्हें कुछ हो जाएगा।"

रिया हाथ जोड़ कर उनसे विनती करने लगी।

"पहले तेरा वो बिज़नेसमेन बाप सेहगल तो आ जाए। फ़िर छोड़ देंगे।"

"देखिए आप से कोई गलती हो गई है। मेरे बाबा का नाम रामचरण गुप्ता है। मेरे माँ - बाबा दोनों काॅलेज प्रोफेसर हैं।"

"हम से कोई गलती नहीं हुई है।"

अधेड़ उम्र के आदमी ने खिड़की की ओर बढ़ते हुए कहा।

युवक का ध्यान भी उसकी ओर था और कमरे का दरवाज़ा खुला हुआ था। रिया ने सोचा ये अच्छा मौका है और वो वहाँ से भाग गयी।

"रोहित, रोको उसे...!"

- अधेड़ उम्र के आदमी ने युवक से कहा।

रोहित बिजली की तेज़ी से दौड़ा और लपक कर रिया को पकड़ लिया। रिया को एहसास हुआ कि ये वही बाँहें हैं जिन्होंने उसे कल रात स्टेशन पर दबोचा था। वह रिया को उठाकर कमरे की ओर ले जाने लगा। रिया ने बहुत हाथ - पैर मारे पर उसके चँगुल से खुद को छुड़ा न पायी।

रिया ने सोचा,

'आखिर ईश्वर ने औरत को मर्द से कमज़ोर क्या इसलिए बनाया है ताकि वो आसानी से उसके अत्याचारों का शिकार बन सके। क्या यही मर्दानगी है कि अपनी ताकत के बल से वो एक कमज़ोर लडकी के साथ मनमानी हरकतें कर सके। ये कैसा इंसाफ है भगवान ?"

उसने रिया को बिस्तर पर ज़ोर से पकड़े रखा और उसके बाॅस ने रिया के हाथ - पैर बाँध दिए। रस्सियों मे जकड़ी हुई रिया अपने आप को छुड़ाने की लगातार कोशिश कर रही थी।

"इसे बेहोशी का इन्जेक्शन दे दो। और सुनो, कुछ दिनों तक ये ऐसे ही भागने की कोशिश करती रहेगी। इसलिए इसके खाने - पीने की चीज़ों में थोड़ी मात्रा में ड्रग्स मिलाते रहना। हल्की बेहोशी में रहे तो अच्छा है। पर डोज़ का ख़ास ध्यान रखना। बच्ची है, भूल से भी बहुत बड़ी मात्रा में डोज़ मत दे देना। और हर रात नींद का इन्जेक्शन देना ना भूलना।"

- बाॅस धीमी आवाज़ में रोहित से बोले।

"जी बाॅस।"

उनके जाने के बाद रोहित इन्जेक्शन में दवा भरने लगा। 

"देखो, मुझे जाने दो नहीं तो मैं चिल्ला - चिल्लाकर लोगों को इकट्ठा कर लूँगी।" - रिया ने उसे धमकाया।

"चिल्लाओ ! यहाँ दूर - दूर तक तुम्हें सुनने वाला कोई नहीं है। और फ़िर थोड़ी देर बाद तुम चिल्लाने की हालत में रहोगी भी नहीं।"

- कह कर रोहित ने रिया को ड्रग्स का इन्जेक्शन दे दिया। कुछ ही पल में छटपटाती रिया को बेहोशी ने अपनी आगोश में लेकर शान्त कर दिया। रिया के साथ हुई उसकी झड़प में रिया की टाॅप के कुछ बटन टूट गए थे। उसने अपना जेकेट उतारा और रिया को पहना दिया। कमरे से बाहर जाने से पहले उसने एक बार फ़िर पलट कर रिया को देखा। उसके मुँह से अपने आप ही ये शब्द निकल पड़े - "स्लिपिंग ब्यूटी।"


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