अरमान
अरमान
क्या आफत है यार, जहाँ टाइम से पहुँचना है, वहाँ देरी से जाना होगा , हे ऊपर वाले तू नीचे आकर मेरा कुछ काम कर दे, एक तो साला इतने दिन बाद शादी का रिश्ता आया है, लड़की देखने जाने में भी इम्प्रेशन खराब ही लग रहा है मेरा एक तो बैंक के पचड़े ऊपर से इतना ट्रैफिक। ये लालबत्ती को भी अभी ही दिखना था। ऐसा लग रहा है खतरे का निशान ये सूचित कर रहा कि भाई मत कर तू शादी ....नहीं, नहीं मैं ये क्या सोच रहूँ। कुछ भी कयास लगाता रहता हूं, भाई यार तू टेंसन मत ले, मैं हूँ न तेरा जिगरी दोस्त तुझे कोई प्रॉब्लम हो ही नहीं सकती -सुमित ने आश्वासन देते हुए कहा चल चल लालबत्ती गयी अब आगे देख कर गाड़ी चला।
हम्म्म्म चंदू ने गहरी सांस भरते हुए कहा "यार वो मुझे पसंद करेंगी या नहीं ?" सुमित ने संशय में डूबा प्रश्न किया।
"क्यों नहीं पसन्द करेगी भला तू तो कितना समझदार है। भला किसी लड़की को तुझ से क्या दिक्कत हो सकती है, बैंक मैनेजर है तू अपना भी कोई क्लास है दिखने में तो तू शाहिद कपूर लगता है स्टाइल तेरी महेश बाबू जैसी है अब तो कोई पागल या विरला ही हो जो मना करे। चल घर आ ही गया उसका ,भाभी से मिलते है" व्यंग्य करते हुए सुमित ने आगे कदम बढ़ाया ...
लड़की वालों के यहाँ पहुँचते ही जमकर खातिरदारी हुई ....फिर लड़की की माँ ने अपनी बेटी की तरफदारी करने में कोई कमी नहीं रखी, "हमारी बेटी बहुत आधुनिक परिवेश में जीने वाली लड़की है उसे घर के कार्यो में कोई विशेष रुचि नहीं है तो आप शादी के बाद नौकर लगवा लेना, हमारी बेटी को बस कोर्ट कचहरी का ही काम आता है और वो दिन भर उसी में ही व्यस्त रहती है" लड़की की बहन ने सुर में सुर मिलाते हुए और ऊँचे अलाप लिए (ऐसा लग रहा था कि माँ बेटी पूरी रिहर्सल करके ही बैठी हो) मेरी बहन को आराम से उठना और आदेश देने की बहुत ही पुरानी आदत है (सुमित कुछ हलचल करके जताना चाहता था कहाँ फँसे यार लालबत्ती (खतरे का निशान)में।
सुमित भी कहाँ कम पड़ता वो भी शुरू हो गया "हमारा चंदू बहुत ही टैलेंटेड पर्सन है ,और बहुत ही काइंड हार्ट भी, कभी किसी के दिल से खेलना उसने नहीं सीखा। बैंक मैनेजर है बहुत पहुँच है भाई की। कोई भी काम अनुपस्थिति में भी चुटकियों में संपन्न करवा लेता है और भाई संगीत के बहुत ही शौकीन व्यक्ति है।"
लड़की की माँ ने हँसते हुए अपने होने वाले दामाद को निहारते हुए-"कुछ लीजिए न आप जबसे बात ही कर रहे है हम।"
लड़की की माँ और बहन , लड़की जिसका नाम चांदनी था, को लेने उसके कमरे में गए थे , इतने में सुमित- "अरे रहने दे भाई इस लालबत्ती को तू कैंसल कर दे आफत की पुड़िया लग रही मुझे तो। मैं तो कहता हूं चल यहाँ से।"
"हम्म यार तू सही बोल रहा है अभी से इतने नाटक तो शादी के बाद फिर क्या हमें चल देना चाहिए बिना देर किए।"
जाने के लिए ज्यों ही दोनों उठे सामने से एक सुंदर गोर वर्ण लड़की हाथ में चाय की ट्रे लिए आहिस्ता आहिस्ता आ रही थी, उसके रूप पर चंदू तो जैसे आसक्त ही हो गया था उसने आकर सबको नमस्ते किया और चंदू के बारे में जानने के लिए उसने चंदू से एकांत में बात करने का फैसला किया। दोनों बगीचे में टहलते हुए एक दूसरे को समझने का प्रयास कर रहे थे, पर.....ये क्या जहाँ लड़की की माँ ने उसके बारे में बताया था वो बिल्कुल उसके विपरीत थी, वो रामायण महाभारत के प्रसंगों की बात कर रही थी विलुप्त होती संस्कृति पर अपना दुख प्रकट कर रही थी। गरीबों और अनाथों के हितार्थानुकूल सेवा करने का संकल्प ले रही थी , शादी के बाद शहर नहीं गाँव के बीच ही संयुक्त परिवार के साये तले रहने का मन बना रही थी मैं हतप्रभ था ये सब सुनकर की भौतिकता के इस परिवेश में भी इतनी सहज और शालीन लड़की क्या ये कोई स्वप्न तो नहीं है ....
उसने पूछा धीमे स्वर में -"क्या नाम है आपका"
चंदू उसकी आवाज़ को सुनकर मंत्रमुग्ध हो गया कितना मधुर स्वर है ...स्वयं सरस्वती का अवतार लगती है, और मन ही मन प्रफुल्लित भाव से देखता रहा फिर कुछ सोचते हुए "मेरा नाम चन्द्रशेखर उर्फ चंदू है अब कृपा कर अपना नाम बताओ।"
लड़की ने कहा -"चांदनी नाम है मेरा"
चंदू ने सोचा अब उसकी चांदनी आ गयी है उसके जीवन में शीतलता का प्रकाश भरने ।
थोड़ी देर बाद दोनों अपने स्नेहजनो के पास आकर शादी की तारीख़ तय करने का फैसला करते है और सुमित को चंदू ने सब बातें बतायी फिर कहा "यार चांदनी लालबत्ती (खतरे का निशान) नहीं है बहुत ही सादगी पूर्ण जीवन की कल्पना करने वाली एक देवी है।"