मंज़िल की तलाश
मंज़िल की तलाश
कहाँ जाना है पर ये पता नहीं शायद भटक चुके हैं। न रास्ता पता, न ही कोई स्थान भटक गया एक आम इंसान। दौलत आपको रास्ता बताती है गरीबी आपको भटका देती है। जब किसी को अपनी मंज़िल का पता नहीं होता वह रास्ते से भटक जाता है। ये रास्ता शायद एक भूलभुलैया है जो हर किसी को गुम कर देता है। मन ही आपका गुरु है अगर ये ही भटक जाए तो आपका शत्रु है। आस-पास जब कोई बूरे समय में आपके साथ होता है वह मित्र सम्मान होता है और जब अच्छे समय में आपके साथ रहने के साथ आपको भटकाने का प्रयत्न करता है वह आपका शत्रु समान होता है। जो कार्य करने से आपको संतुष्टी मिलती है वह ही करा जाए तो ठीक है न तो भटक जाना सम्भव है।
शिक्षा आपको एक मार्ग दिखाती है और बिन शिक्षा आपको भटका देती है। आपकी एक सीख आपको कुछ बना सकती है आपकी एक भूल आपको भटका सकती है। अच्छी सीख लेना कोई पसन्द नहीं करता बुरी सीख हर कोई ग्रहण कर लेता और भटक जाने के बाद वह तुम्हें याद करता। आपकी सुविधा आपको खुश कर सकती है आपकी असुविधा आपको भटका सकती है। आज अच्छा नहीं हुआ तो कल अच्छा नहीं हो पायेगा वक्त आने पर वह भटक जाएगा.बदल जायो या भटक ज़ायो
ये तुम्हारे हाथो में है ।