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डेथ वारंट भाग 9

डेथ वारंट भाग 9

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सालुंखे खुद ही जीप चलाता हुआ हेड क्वार्टर पहुंचा था। वापसी में बीस मिनट बाद वह माहिम में ख्वाजा की दरगाह के सामने से गुजर रहा था। उसे सिग्नल पर रुकना पड़ा,फिर सिग्नल चालू होते ही जैसे ही उसने गाड़ी सरकाई कि अचानक उसे सन्न की आवाज सुनाई पड़ी। उसने चौंक कर बगल में देखा तो उसे कुछ समझ में नहीं आया लेकिन उसे अपनी गर्दन में कुछ चिपचिपापन महसूस हुआ। अनायास ही सालुंखे का हाथ गरदन पर पहुंचा तो गाढ़े रक्त में सन गया। आश्चर्य की बात कि उसे इस समय कोई दर्द महसूस नहीं हो रहा था। लेकिन वह समझ गया कि उसपर साइलेंसरयुक्त रिवाल्वर से गोली चलाई गई है। अचानक दर्द की एक तीव्र लहर उसकी गरदन से उठ कर पूरे बदन में फैल गई। वह पीड़ा से ऐंठ गया।स्टेयरिंग अपने आप घूम गया। उसकी जीप बगल में चल रही टैक्सी से जा टकराई। सालुंखे का बदन बेहोश होकर झूल गया। लेकिन होश गंवाने के पहले उसने देखा कि कोहराम सा मच गया है और काफी लोग इकट्ठे होने लगे हैं।
जब होश आया तो सालुंखे अस्पताल के बेड पर पड़ा हुआ था। उसकी पत्नी एक स्टूल पर बैठी थी। कुछ देर सालुंखे कुछ समझ ही न सका। उसकी पत्नी दौड़ी गई और नर्स को ले आई। फिर तो डॉक्टर भी आये और कई दूसरे लोगों का तांता लग गया। पता चला कि सालुंखे 4 दिन बेहोश रहा था। अगले दिन सालुंखे की तबियत में काफी सुधार था। गोली उनकी गरदन की नसों को छीलती हुई निकल गई थी अगर एक इंच भी इधर लगती तो उसका राम नाम सत्य हो गया होता।
सालुंखे अपने बिस्तर पर पड़ा सोच में मग्न था। एकाध दिन में ही यहाँ से छुट्टी मिलेगी। इस बीच पता चला कि राम मोहन कुशवाहा पर पुलिस का शिकंजा पूरी तरह कसा जा चुका था। न जाने क्यों,सालुंखे को विश्वास था कि कुशवाहा निर्दोष है। जरूर उसे फंसाया गया है। सालुंखे आंखे बंद किये यही सब सोच रहा था। वार्ड में दोपहर का सन्नाटा पसरा हुआ था। अचानक किसी ने दबे पांव आकर उसके मुंह पर तकिया रख दिया और जोरों से दबाने लगा। वैसे भी बीमारी से सालुंखे कमजोर हो गया था।वह हाथ पांव पटकने लगा लेकिन आगंतुक काफी शक्तिशाली था। सालुंखे का दमखम जवाब देने लगा।अचानक एक नर्स वार्ड में आ गई और जोर जोर से चिल्लाने लगी। आगंतुक ने गर्मी से बचने के लिए मुंह को कपड़े से अच्छी तरह बांधा हुआ था और काला चश्मा पहन रखा था वह कूद कर भाग खड़ा हुआ। नर्स ने फौरन आकर सालुंखे की जांच की तो उसके हाथ पांव ढीले पड़ गए थे और जान लगभग जा चुकी थी। नर्स ने नब्ज टटोली तो वह हल्की चल रही थी। नर्स ने उसे आपात चिकित्सा देनी शुरू कर दी। कुछ देर बाद सालुंखे का बदन हरकत करने लगा। एक हफ्ते के भीतर ही वह दूसरी बार निश्चित मौत से बच गया था।

कहानी अभी जारी है ....


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