बंद खिड़की भाग 10
बंद खिड़की भाग 10
बंद खिड़की। भाग 10
अगले दिन तुकाराम ने श्रीकांत को अपनी चौकी में बुलाया और उसके साथ केस पर चर्चा करने लगा। पूरी केस हिस्ट्री समझने के बाद श्रीकांत बोला उस कानी उंगली की छाप वाले को ढूंढो तुकाराम। वही कातिल है। तुकाराम ने सहमति में सिर हिलाया और बोला, लग तो मुझे भी यही लग रहा है यार! पर उसे ढूँढू कैसे?
सुनो तुकाराम! मुझे लगता है कि यह किसी ऐसे आदमी का काम है जिसने वक्ती लालच के वशीभूत होकर यह काम कर दिया है। गायत्री की हत्या करना उसका मकसद नहीं रहा होगा। तुम आसपास के सभी लोगों की उँगलियों की छाप लेकर देखो शायद कोई रास्ता मिले।
अगले दिन तुकाराम बस्ती में पहुंचा तो उसके साथ भारी फ़ौज फाटा था। गायत्री के घर के आसपास रहने वाले हर परिवार के बालिग़ सदस्य की उँगलियों की छाप ली जाने लगी। जब तुकाराम बारह नम्बर की खोली में पहुँच कर अब्दुल कय्यूम परिवार के मुखिया अब्दुल की उँगलियों की छाप ले रहा था तब एक बीस बाइस साल का लड़का भीतर से बाहर निकला और पुलिस दल को देखते ही हड़बड़ा गया। उसके चेहरे पर साफ़ साफ़ आतंक उभर आया। जिसे तुकाराम की अनुभवी आँखों ने तुरंत भांप लिया। वह जल्दी से आँख बचाकर फिर घर में घुसना ही चाहता था कि तुकाराम कठोर स्वर में बोला, ऐ! इधर आ!
वह आकर पास खड़ा हो गया पर उसके पांवों में थरथराहट थी।
ये कौन है? तुकाराम ने अब्दुल कय्यूम से पूछा
मेरा भांजा अफजल है साहब
क्या करता है?
गाँव से आया है अभी बेरोजगार है, काम ढूंढ रहा है साहब।
अच्छा! इसको जेल में चक्की पीसने का काम दिलवा देता हूँ, इसने गायत्री घोसालकर का खून किया है। तुकाराम ने अँधेरे में तीर मारा और ध्यान से अफजल की प्रतिक्रिया देखने लगा।
अफजल का चेहरा एकदम सफेद पड़ गया। मानों बदन में खून ही न हो। अचानक वह पलटा और बाहर की ओर निकल भागा। तुकाराम ने चैन की सांस ली। उसके संकेत के पहले ही दो हवलदार बाहर की ओर झपट पड़े थे। थोड़ी ही देर में अफजल को दबोचे एक हवलदार कमरे में दाखिल हुआ। उसके कसबल निकल गए थे। तुकाराम ने उसे एक झन्नाटेदार झापड़ मारते हुए कहा, तूने ही मारा है न गायत्री को? अफजल का चेहरा घुटनों तक लटक गया।
क्या अफजल ही है कातिल?
कहानी अभी जारी है...
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