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अनमोल पल

अनमोल पल

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हम पोते के जन्मदिन पर आए हैं वह तीन वर्ष का हो गया है पता ही नहीं चला।

मैं उस दिन को याद कर रही थी जब सुबह निकिता को दिखाने डॉक्टर के पास गई थी।

विगत आठ माह से पूरा परिवार बहू का ख्याल रख रहा था।

खुश था नन्हे मेहमान को लेकर।

आख़िर आज वह दिन आ गया था जिसका हमें बेसब्री से इंतजार था। कल तक सब कुछ नॉर्मल था। आज पता चला कि सिजेरियन करना होगा बहू भी घबरा गई थी हम सब भी चिंतित हो गए थे, वैसे भी बच्चे के जन्म के साथ माँ का दूसरा जन्म होता है ऐसा कहा जाता है। यह पीड़ा और प्रसव वेदना आसान नहीं होती है।

थोड़ी देर में डॉक्टर ने मुझे बुलाया और बच्चे के गले में फंसी हुई कॉर्ड के बारे में बताया और दिखाया भी सोनोग्राफी में हम सब तुरंत तैयार हो गए थे। आपरेशन के लिए चिंतित भी थे, और आधे घंटे बाद रोने की पहली आवाज़ से हम चहक गए थे। हमारे परिवार का विहान आ गया था। हंसता खेलता नवांकुर।

दादी दादी, दादी की प्यारी सी आवाज़ से मेरी तन्द्रा टूट गयी, विहान मुझे लेने आया था पापा के साथ।

अनमोल था ये सुख ये पल।


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