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mona kapoor

Abstract Drama

1.0  

mona kapoor

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सब्जी में नमक ज़रा कम है

सब्जी में नमक ज़रा कम है

3 mins
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सपना..अरी ओ सपना, कहाँ है तू ज़रा नमक तो लाना,जैसे ही सासूमाँ की आवाज सपना के कानों तक पुहंची जल्दी से सपना नमक की डिबिया उठा तेज कदम चलाती सासूमाँ के कमरे में पहुंच गई, चम्मच से उनकी सब्ज़ी में नमक डाल वापिस जाने ही लगी कि सासूमाँ बोली..”अरे सपना बेटा,तुझे कितनी बार कहा है कि एक डिब्बी में जरा सा नमक डाल कर रख दिया कर ताकि जब भी मुझे जरूरत पड़े मैं खुद ही ले लूँगी बार बार तुझे आवाज़ लगा कर बुलाना मुझे भी अच्छा नहीं लगता लेकिन तू है कि मेरी सुनती ही नहीं,तपाक से सासूमाँ बोली”,लेकिन सपना बिना कोई जवाब दिए हल्की सी मुस्कान दिए चली गयी।

पिछले सात सालों से उनकी इस आदत से अब बेखबर ना थी सपना। पहले बुरा लगता था उसे कि उसकी बनाई हुई हर सब्ज़ी में सासूमाँ की सूई नमक पर आकर अटक जाती थी कई बार नाराज़गी भी दिखाई सपना ने परंतु ज्यादा बोलना उचित नहीं समझा आखिरकार घर की बहू जो ठहरी यही बात अगर बेटी बोल दे तो कोई दिक्कत नहीं होती परन्तु बहू के कोई भी बात बार बार कहने पर कलेश का कारण अवश्य बन जाती यही सोच सपना ने चुप रहना ही सीख लिया था|

अब बेचारी सपना करे तो क्या करे ,शादी करवा कर इस घर में आने के बाद ही ससुरजी और पतिदेव द्वारा सख्त हिदायतें दे दी गयी थी कि तुम्हारी सासूमाँ को ब्लड प्रेशर बढ़ने की शिकायत रहती है इसीलिए इनको कम से कम नमक देना है।तब से बेचारी फंस ही गयी इधर कुआँ उधर खाई वाले हालात जो पैदा हो गए थे|कम नमक डालती तो सासूमाँ का एक ही डायलॉग सदा कानों में सुनाई पड़ता कि ,“सपना सब्ज़ी वैसे तो बहुत स्वाद है पर नमक कम होने की वजह से रोटी खाने का मजा नहीं आया,लेकिन फिर भी दवाइयां लेनी होती है तो पेट भरने के लिए खा लिया है खाना, अगली बार नमक का जरा ध्यान रखियो।“

एक दिन तो हद ही होगयी जब सपना ने सासूमाँ को खुश करने के लिए सब्जी का नमक थोड़ा तेज कर दिया बस जी फिर क्या था बडे मजे से रोटी का स्वाद लेते हुए खाना खाया और शाम तक जी ब्लड प्रेशर बढ़ गया सासूमाँ जी का,अब जी सारा दोष जा पहुंचा सपना के ऊपर क्योंकि सासूमाँ अपना दोष तो बताने से रही नाक जो कट जानी थी।

बस तब से ठान चुकी थी सपना कि अब चाहे जो मर्जी हो जाये वो सासूमाँ की चिकनी चुपड़ी बातों में नहीं आएगी उनकी डाँट खाना मंजूर था परंतु उनको शारीरिक नुकसान पहुंचाना कतई मंजूर नहीं था,आखिरकार कहीं ना कहीं उसके मन में अपनी सासूमाँ के लिए सॉफ्ट कार्नर भी था, भले ही नमक के बहाने ही सही सासूमाँ सपना से शिकायत तो करती पर इस शिकायत में भी उसे अपनापन लगता,कभी सोचा नहीं था सपना ने की नमक उसके और उसकी सासूमाँ के बीच की बातचीत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन जाएगा।



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