आठ पैरों वाला कुत्ता
आठ पैरों वाला कुत्ता
बहुत पहले की बात है, एक बूढ़ा अपनी बुढ़िया के साथ रहता था। एक बार वे पार्मा , उत्तरी जंगल में गए बेरियाँ चुनने। टोकरियों में बेरियाँ इकट्ठा कर रहे हैं, देखते क्या हैं, कि एक विचित्र जानवर भागता हुआ उनकी ओर आ रहा है।
“तू कौन है ?” बूढ़े ने पूछा।
“मैं कुत्ता हू,” जानवर बोला, “मुझे अपने घर ले चलो।”
“हमें तेरी क्या ज़रूरता है !”बुढ़िया ने हाथ हिलाया। “हम दोनों के ही लिए खाना जैसे तैसे पूरा पड़ता है, ऊपर से तू भी।”
“मैं दुखी, अभागा हूँ !” कुत्ता दाँत दिखाते हुए रोने लगा। “पूरी दुनिया भागता रहा, कोई भी मुझे रखने को तैयार नहीं है। चार पंजे झड़ गए, बाकी के चार भी जल्दी ही झड़ जाएँग, फिर मैं मर जाऊँगा। ओय,ओय, ओय !”
“क्या तेरे आठ पंजे थे ?” बूढ़े ने पूछा।
“आठ, पूरे आठ,” कुत्ते ने जवाब दिया। “पहले सभी कुत्ते आठ टाँगों वाले होते थे, सभी जानवरों से तेज़ दौड़ते थे।”
“चार पैरों वाला तू हमारे किसी काम का नहीं,” बुढ़िया ने कहा।
“मैं बहुत दुखी हू,” कुत्ता फिर से बिसूरने लगा। “मैं पूरी दुनिया में आख़िरी कुत्ता हूँ। जैसे ही मेरे आख़िरी पंजे झड़ जाएँगे, मेरा वंश भी ख़त्म हो जाएगा। मुझ बदनसीब को अपने साथ ले चलो,मैं कुत्ता-घर में रह लूँगा, आपके घर की रखवाली करूँगा।"
“बुढ़िय, ओ बुढ़िया, हम इसे अपने घर ले चलें ?” बूढ़ा बुढ़िया को मनाने लगा। “हाँलाकि इसमें ख़ामी है, मगर फ़िर भी दया तो आती है, कहीं दुनिया का आखिरी कुत्ता भी न मर जाए।”
“काश, ये आठ टाँगों वाला होता,” बुढ़िया ने आह भरी, “चलो, ठीक है, इस चार पैरों वाले बदसूरत कुत्ते पर दया करेंगे।”
वे कुत्ते को अपने घर ले आए। चार पैरों वाले की आदत हो गई। कुत्ता घर की रखवाली करता, बूढ़ों के साथ शिकार पर जाता। उसीसे चार पैरों वाले कुत्तों के वंश की उत्पत्ति हुई।
बूढ़े और बुढ़िया को धन्यवाद देना चाहिए, वर्ना तो ऐसे भी कुत्ते दुनिया में नहीं बचते।