उपहार
उपहार
"आज फिर नया डायमण्ड सेट" उल्लासित जूही उसे जल्दी से पहन लेना चाहती थी।
उसे पहनाने में मदद करते हुए कविश ने हँस कर कहा" आज मेरा प्रमोशन जो हुआ है।"
अभी तो आपने मेरे जन्मदिन पर भी एक ख़ूबसूरत हार दिया था। जूही इतराते हुए बोली।
"तुम हो इतनी खूबसूरत, जो चाहो, जब चाहो, माँग लो। मेरा सब कुछ तो तुम्हारा ही है।" कविश ने न्यौछावर होते हुए कहा।
"मैडम, बाहर मैडम शोभना आयी हैं।" लाली की आवाज़ से वर्तमान में लौटी जूही। मैडम शोभना मतलब कविश की पत्नी।क्या बोलेगी उनको वह...आज तो कविश भी इस हालत में नहीं कि उसका पक्ष लेकर सामने आकर उसको बचाने की कोशिश करें। फिर भी वो मुरझाया से चेहरा लेकर उठ खड़ी हुई।
शोभना कविश के सामने बैठी हुई थी। वो कविश जो आज ना बोलने की स्थिति में थे ना ही समझने-समझाने की। बस उनकी आँखों में आँसू उमड़े जा रहे थे। शोभना के साथ किया अन्याय शायद उन्हें याद आ रहा था।
जूही हाथों में वो हजारों-लाखों के गिफ्ट पैक लिए बाहर आयी, जिसके बदले कविश ने पिछले कई सालों में उसकी खूबसूरती खरीदी थी...उसे अब ऐसा लगता है। उसने वो सब पैकेट शोभना को लौटाने चाहे...ये कहते हुए कि उन सब में शोभना का ही हक़ है।
शोभना ने एक झटके से उन सब गिफ्ट पैक को अपने सामने से हटाते हुए कहा कि इन सब खिलौनों को तुम अपने पास ही रखो शायद तुम्हें तुम्हारे होने का एहसास दिलाते रहें...मेरे पास मेरा सच्चा उपहार मेरी दो बेटियाँ हैं।