Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

प्रेम पत्र

प्रेम पत्र

5 mins
708


मेरे प्राणनाथ, 


वेलेंटाइन डे बीत गया और तुम बैंक में बीमा का टार्गेट करते रहे। वेलेंटाइन डे के इतने दिनों बाद तुम्हें पत्र इसलिए लिख रहीं हूँ ताकि तुम्हें आश्चर्य भी हो और खुशी भी हो कि इस बार हमने वेलेंटाइन डे एक दिन पहले तुम्हारी ब्लेक एंड व्हाइट तस्वीर के साथ इसलिए मना लिया था क्योंकि उसके पीछे कोई खास कारण था। बताने में थोड़ा संकोच हो रहा है हालांकि कि तुम समझदार हो मर्द लोग ज्यादा समझदार बनने की कोशिश करते है पर रहते बुद्धू ही है।


मोबाइल तो तुम उठाते नहीं क्योंकि मोबाइल बैंक से मिला है बाॅस की डांट और गालियाँ सुनने के लिए... 

इसलिए पत्र लिखना पड़ रहा है, मेरे पास आपसे अपनी बात कहने के लिए इसके अतिरिक्त अन्य कोई उपाय नहीं है क्योंकि, आपके पास मेरे लिए टाइम नहीं है। आपके पास बैंक के टार्गेट है, बाॅस की चमचागिरी करना है, बैंक का बजट है। साहब के कुत्ते को घुमाना पड़ता है, उनकी बिवी के ब्यूटी पार्लर वाले को फाइनेंस करना होता है, ग्राहकों को लटके झटके देने होते है, ऐसे सौ तरह के कामों के बीच मेरे लिए कहां वक्त है, चलो कोई बात नहीं...


तुम्हारी बदमाशियों पर हंसी भी आती है, जब महीने दो महीने में घर आते हो तो प्रेम की ऐसी बारिश करते हो कि छाता भी फट जाता है और ऊपर से ऐसे एहसान से दबाते हो कि सब कुछ मेरे और बच्चों के लिए ही तो कर रहा हूं। क्या करें बैंक की नौकरी में जिम्मेदारियां बहुत है, प्रमोशन तुमने लिया और कहते हो मेरे और बच्चों के खातिर प्रमोशन लेने पड़े। प्रमोशन लेने से बैंक वाले फुटबाल बन जाते है, लातें खाने की आदत हो जाती है तो तुमने प्रमोशन क्यों लिया।


चलो ठीक है प्राणनाथ... पर कम से कम वेलेंटाइन डे के बहाने तो टाइम निकाल लेते। मैं जानती हूं कि प्रमोशन लेने के बाद मैनेजमेंट तुम्हारी प्रेमिका बन गई उसकी तुम पर नजर लग गई। बैंक में प्रमोशन लेकर तुम कोई काम के नहीं रह गये धोबी का गधा बन गए... हां धोबी का गधा... न घर का न घाट का.........! 


गजब हो गया गधे की तरह मेहनत करते हो, साहब की गालियाँ खाते हो, सुबह जल्दी भागते हो, रात को देर से सोते हो, हमें पैसा भेजने में भी देर करते हो, कभी जनधन खाते खोलने का बहाना बनाते हो, कभी सुरक्षा बीमा के चक्कर में चक्कर खाकर गिर जाते हो और कुत्ते की तरह पूंछ हिला कर बाॅस को खुश करते हो..... और तो और कभी कभी ब्लड डोनेशन कैम्प का पैसा खाकर ब्लड बैंक के चक्कर लगाते हो। मेरे प्राणनाथ, तुम तो कोल्हू के बैल बन गए हो। थोड़ा दुबले हो गये हो तो क्या हुआ हमारी चर्बी थोड़ा उठान पर है, बैंक वाले की बिवी होने की इज्जत रखनी पड़ती है। मम्मी तो बैंक के अफसरों के घर में मिलने वाली सुविधाओं का डंका बजाती रहती है अफसर होने का झूठा प्रचार करती है हालांकि मैं तुम्हारी असलियत जानतीं हूँ। 


12-13 साल पहले तुम प्रमोशन को स्वयंवर में जीत कर क्या लाये थे मैं तो पराई हो गई थी। तुमने अपनी दो टकिया की नौकरी में मेरा लाखों का सावन बेच दिया था! जब बाबू थे तो सावन में भीग कर कई बार कपड़े बदलते थे, बैंक में, काम में मन नहीं लगता था। उस समय तुम बैंक से गायब होकर खूब पिक्चर दिखाते थे फ्री की टिकट में.......। और झूठी यूनियनबाजी करके साहब की पेंट गीली करवा देते थे। अरे हां तुम उन दिनों बच्चों का होमवर्क कराते, घर की सब्जी - भाजी लाते और रात भर चाहे जब गाना गाते थे। 


मेरे असली प्राणनाथ, तुम पर दया भी आती है ये चार साल से जो नयी सरकार आयी है ये बैंक वालों के हाथ धो के पीछे पड़ी है। चाहे जब चड्डी उतरवाने के चक्कर में रहती है। सारी योजनाएं सब तरह के काम बैंक वालों से करा रही है। इनको अपने सरकारी अफसरों पर भरोसा नहीं है, तभी तो सब वोट बटोरने के कामों के लिए बैंक को चुन लिया है। चाहे गरीबों के जनधन खाते खोलना हो, चाहे उनका जबरदस्ती बीमा करना हो, चाहे बच्चा पैदा करना हो और बच्चे के पैदा होने का पैसा बांटना हो। स्कूल के मास्टरों पर भी इनको भरोसा नहीं है। बच्चों की स्कॉलरशिप भी बैंक से, बच्चे पढ़ने जाएं तो पढ़ने का लोन बैंक से, कोई रिटायर होय तो पेंशन बैंक से, कोई मरे तो मरने का हर्जाना बैंक से, मंत्री जी का फोन आये तो माल्या को माल दो बैंक से, फ्री की बीयर पीयें मंत्री जी और पैसा देवे बैंक वाला..... गुजराती हो तो बिना देखे बैंक की चाबी उनको देना ही है क्योंकि विकास सर चढ़ के बोल रहा है अच्छे दिन लेने विदेश जाना पड़ता है।


गुजराती होने के डर से 'चौकसी' की चौकसी करो तो, नीरव जैसों को बैंक को गोद लेना पड़ता है कुल मिलाकर प्राणनाथ..... तुम बैंक वालों की इन लोगों ने बऊ कर दी है। ऊपर से दबाव बनाकर लोन दिलवाते है, चुपके से देश से भगाकर बैंक वालों को हथकड़ी लगवाते है। नोटबंदी करके बैंक वालों को पिटवाते है और काउंटर में बैठी गर्भवती महिलाओं का गर्भपात भी कराते है।


मेरे प्रिय नागनाथ अरे साॅरी प्राणनाथ.... कभी फौनवा - औनवा से बात भी नहीं करते, कोई है बैंक में क्या? मोबाइल भी नहीं उठाते बड़ी चिंता लगी रहती है, भले तुम्हारी नजर में हम मूर्ख है पर मूर्ख आदमी भी बेवजह खुलकर हंस तो सकता है। हमें तुम्हारे ऊपर हंसी भी आती है और कभी-कभी दया भी........ हंसी सेहत के लिए लाभकारी होती है ऐसा पड़ोसी कहता रहता है अक्सर मुंडेर से खड़ा होकर, हमें देखकर हंसता रहता है। 


आपका बहुत वक्त ले लिया। पत्र इसलिए लिखा कि इस बार वेलेंटाइन डे में पड़ोसी ने सुंदर खिला हुआ गुलाब क्या दिया..... दिल दरिया हो गया। फिर हमने मस्ती से उनके साथ वेलेंटाइन डे मन भर मनाया दिल खुश हो गया। हां बीच-बीच में हम तुम्हें भी याद कर लेते थे। 

प्रेम में बड़ी शक्ति है, तो आओ मिल जाए हम सुगंध और सुमन की तरह........ 


आपकी भूली बिसरी 

धर्मपत्नी


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Comedy