Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

कत्ल का राज़ भाग 2

कत्ल का राज़ भाग 2

3 mins
7.5K


कत्ल का राज़

भाग 2 

                 मंगतानी का मूड बुरी तरह खराब था। एक तो वैसे ही वो खड़ूस टाइप का आदमी था ऊपर से सम्यक ने उसे बौखला दिया था। कामवाली बाई चंद्रा आई तो मंगतानी फ़ोकट में उसपर भड़क गया और कामचोरी का बहाना बनाकर डांटने लगा। थोड़ी देर तक चंद्रा ने सहन किया फिर उसके धैर्य का बाँध भी टूट गया। उसने हाथ का पोंछा फेंक दिया और काम छोड़ने का अल्टीमेटम देकर भुनभुनाती हुई प्रस्थान कर गई। थोड़ी देर बाद रमाशंकर चौधरी दो लोगों के साथ ऑफिस में प्रविष्ट हुआ। चौधरी मोहल्ले स्तर का नेता और दलाल टाइप का आदमी था उसके साथी भी मवाली ही लग रहे थे। कान्ता की ओर देखे बिना चौधरी धड़ धड़ाता हुआ मंगतानी के केबिन में जा घुसा और मोहल्ले में होनेवाले एक धार्मिक आयोजन के लिए चंदे की मांग करने लगा। मंगतानी ने दो टूक मना कर दिया। आम वक्त में मंगतानी ऐसे लोगों से उलझता नहीं था पर अपने खराब मूड के चलते आज बात ज्यादा ही बढ़ गई। उसने चौधरी को उल्टा सुलटा बहुत कुछ बोल दिया तो चौधरी तिलमिला कर दो दिन में उसे  देख लेने की धमकी देता हुआ चला गया।

                   शाम को कान्ता को ऑफिस बंद कर देने की हिदायत देकर मंगतानी अपनी कार से घर को रवाना हो गया। कान्ता के पास भी ऑफिस की एक चाबी रहती थी उसने टाइम पर ऑफिस बंद किया और घर चली गई। वो इस ऑफिस की पीर बावर्ची भिश्ती खर सबकुछ थी। अगले दिन कान्ता नियत समय पर ऑफिस आई और बाहर अपने रिसेप्शन पर बैठ कर फोन कॉल अटेंड करने लगी। मंगतानी 11 बजे के लगभग ऑफिस आता था लेकिन उस दिन एक बजे तक उसके दर्शन नहीं हुए। कान्ता ने मंगतानी के मोबाइल पर कॉल लगाया तो घंटी भीतर मंगतानी के केबिन में बजने लगी। कान्ता ने अपने माथे पर हाथ मारा और बुदबुदाई, लो! आज फिर यहीं भूल गए। मंगतानी अक्सर अपना चश्मा मोबाइल या बटुआ ऑफिस में ही भूल जाया करता था। इसमें कोई खटकने वाली बात नहीं थी। वैसे भी मंगतानी के पास बाबा आदम के जमाने का मोबाइल था जिसपर केवल फोन आने और जाने की ही सुविधा थी। वो फेसबुक ट्विटर और वाट्सअप जैसी लानतों से कोसों दूर रहता था और इन चीजों को वक्त की बर्बादी मानता था। कान्ता को ऑनलाइन रहने की बीमारी थी और अपनी इस आदत के लिए वो गाहे बगाहे मंगतानी की डांट भी खाती थी। जब तीन बज गए और कान्ता के पास मंगतानी के लिए कई सूचनाओं का संग्रह हो गया तो उसे चिंता होने लगी। एक बार उसने मंगतानी के घर फोन करने का इरादा किया फिर हिचक गई क्यों कि मंगतानी की बीवी गायत्री एक झगड़ालू और खुन्दकी स्वभाव की औरत थी जो मंगतानी से शादी करने को अपने जीवन की सबसे बड़ी भूल मानती थी। "न जाने मेरी अक्कल पर कौन से पत्थर पड़ गए थे, जो मैं इस नीच आदमी के पल्ले पड़ गई "ये उसका हमेशा का रोना था। गायत्री, कान्ता की योग्यता और सुंदरता से चिढ़ती थी और उसे झिड़कने का कोई मौका हाथ से नहीं जाने देती थी। कान्ता भरसक उससे बात करने से बचती थी। कान्ता अभी पशोपेश में ही थी कि लैंडलाइन फोन बज उठा। शैतान को याद करो और शैतान हाजिर! सामने गायत्री ही थी जो बिना किसी दुआ सलाम के दांत पीसती सी बोली, अगर तुम दोनों सोकर उठ गए हो तो अपने आशिक को फोन दो! गायत्री हमेशा इसी भाषा में बोलती थी जो वो  पेट की खातिर सुनने को मजबूर थी। हकलाती सी बोली, मैडम! सर तो आज सुबह से आए ही नहीं!

"न जाने कहाँ पीकर  पड़ा है शराबी! रात को भी घर नहीं आया खैर! जैसे ही आए मुझे फौरन फोन करवाना समझी! गायत्री दहाड़ती सी बोली और कान्ता का उत्तर सुने बिना ही फोन पटक दिया।

 

कहानी अभी जारी है .....

 

आखिर मंगतानी कहाँ गायब हो गया ?

पढ़िए भाग 3 


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Thriller