Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Shubhra Ojha

Others Romance

5.0  

Shubhra Ojha

Others Romance

प्यारी मुस्कान

प्यारी मुस्कान

2 mins
889


आज सोचा था जल्दी उठ जाऊंँगा‌, लेकिन आँख नहीं खुली। बहुत दिनों बाद इतनी चैन की नींद आयी थी, इससे पहले हर दिन कोई ना कोई काम, खैर आज सोच रहा हूँ ऑफ़िस ना जाकर, पूरा दिन अपनी पारुल के साथ बिताऊंँ,और अपने हाथों से उसकी पसन्द की सब्जी बनाऊँ।

तभी पारुल एक कप चाय के साथ कमरे में आती है और मुझसे पूछती है "ऑफ़िस नहीं जाना क्या ?"

मैं पारुल के हाथ से चाय लेकर पीने लगा तो उसने फिर से अपना प्रश्न दोहराया, तब मैंने कहा "अरे यार प्यार का महीना शुरू हो गया है और तुम मुझे ऑफ़िस जाने को बोल रही हो।"

पारुल ने मुझे घूरते हुए कहा "ये प्यार का महीना क्या होता है?" मैंने पारुल का हाथ पकड़ कर अपने पास खींचते हुए बोला "जिस महीने में प्यार का दिन यानि वेलेंटाइन डे आता हो उसे प्यार का महीना ही तो बोलेंगे।" पारुल ने लगभग अपने आप को छुड़ाते हुए बोला, क्या हो गया है सुबह - सुबह आपको, ऑफ़िस के लिए जल्दी तैयार हो जाइए, अभी मुझे घर के बहुत से काम निपटाने है। यह कहकर वो कमरे से बाहर जाने लगी तब मैंने उसे रोकते हुए कहा "मैं यहाँ प्यार की बातें कर रहा हूँ और तुम घर के काम में लगी हो।" तभी डोरबेल की आवाज़ सुनकर वो बिना मेरी बात सुने ही कमरे से बाहर चली गई।

पिछले कई महीनों से मैं अपने काम की वजह से घर और बच्चों की तरफ़ से लगभग लापरवाह सा हो गया था, लेकिन पारुल ने घर और बच्चों की जिम्मेदारी बख़ूबी निभायी। सुबह जल्दी उठने से लेकर, रात को सोने जाने तक ना जाने कितने काम करती थी, फिर भी उसके चेहरे पर शिकायत का कोई नामो - निशान ना था। अब जब मेरा ऑफ़िस का काम थोड़ा कम हो गया है तो मेरा पूरा समय सिर्फ मेरे परिवार के लिए होगा। यह सोचते हुए मैंने अपनी चाय खत्म की और कमरे से बाहर आ गया।

तभी पारुल अपने हाथों में गुलाब का बुके और साथ में चॉकलेट का पैकेट लिए मेरे पास आती है और मुझसे लिपट कर बोलती है अभी डिलिवरी मैन यह सब देकर गया है। ऑनलाइन ऑर्डर करने की क्या जरूरत थी?

मैंने पारुल को अपनी बांहों में भरते हुए कहा

"तुम्हारे चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान देखने के लिए।"


Rate this content
Log in