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अद्भुद संसार

अद्भुद संसार

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   सन् ४८७१ ईस्वी अद्भुद संसार हमारी दुनिया के मनुष्य के लिए अकल्पनीय,दरअसल मैं टाइममशीन का उपयोग कर सन्२०१९ से भविष्य के इस वर्ष में आ गया था। मुझे सब सपना सरीखा लग रहा था। शुरूआत में मैं टाइम मशीन को कोरी गल्प समझ रहा था, मैं मशीन नुमा कुर्सी पर बैठ गया। वह व्यक्ति जो स्वयं को इस मशीन का आविष्कारकर्ता वैज्ञानिक बता रहा था मशीन को आवश्यक दिशा निर्देश देता रहा, अजीब सी आवाजों और रंगबिरंगी जलती बुझती लाइटों के साथ मैं अट्टाहास करता हुआ मशीन एवं आविष्कार कर्ता की खिल्ली उड़ाता जा रहा था। एकाएक मुझे चक्कर सा महसूस हुआ और मैं चेतनाशून्य होता रहा।

मेरी चेतना जब लौटी तो मैंने स्वयं को विचित्र चौराहे पर पाया। पहले मैंने सोचा शायद सपना होगा लेकिन मुझे ऐसा भी महसूस हो रहा था कि मैं चेतना में हूँ। मैंनें स्वयं को चुटकी काटी सचमुच मैं चेतना में था, परन्तु ये जगह कौन सी है और ये अजीब से लोग ? यह जगह इस दुनिया की तो नहीं हो सकती। मेरे अन्दर एक सिहरन सी दौड़ गयी, क्या मैं मरकर मृत्यु की बाद की दुनिया में तो नहीं पहुँच गया लेकिन भाषा मेरी भाषा से मिलती-जुलती प्रतीत हो रही थी परन्तु यह मेरी भाषा नहीं थी। सामने एक अजीब सी बिल्ड़िंग दिख रही थी, मैंनें उसमें प्रवेश किया। शायद रेस्तरा होगा। लोग उच्च तकनीकि युक्त कुर्सियों पर बैठे थे।

मनुष्य एवं मशीन के बीच की कोई प्रजाति लग रही थी। मुझे रेस्तरा में घुसते देखकर उन लोगों का भी ध्यान मेरी तरफ आकर्षित हुआ। लोग स्वचालित कुर्सियों सहित मेरे आसपास इकट्ठा होनें लगे। मैंनैं कुछ डरकर पूछा, मैं कहाँ हूँ, ये कौन सी जगह है ?

वो लोग मेरी भाषा तो नहीं समझ रहे थे पर शायद हावभाव कुछ समझ रहे हों। वो लोग मुझे अजीब सी नजरों से देख रहे थे, मैं उनके लिए अजूबा था। इतनें में एक आदमी अचानक से शायद अफरा-तफरी सुनकर बिल्ड़िंग के अन्दर से उस विशाल हालनुमा कमरे में पहुँचा। शायद सुरक्षा स्टाफ से था। उसनें सभी को कुछ निर्देश दिये और तत्काल मुझे एक रोबोटिक यंत्र से एक टनलनुमा यंत्र में डाल दिया। यंत्र में फैली हवा की खूशवू से मैं अर्ध चेतना में पहुँच गया।

    पता नहीं कितने समय या दिनों बाद मैं पूर्ण चेतना में वापस आया था। मैनें अपनें आपको एक पूर्ण सुसज्जित अजीब से कमरे के बेड पर पाया। मुझे याद आ रहा था कि अर्ध चेतना की स्थिति में शायद मेरे सम्पूर्ण शरीर का मेडिकल और खुफिया चेकिंग की गयी थी। शायद उनलोंगों ने मुझे अपने लिए नुकसानदायक या जासूस न पाया हो। इतने में मेरे कमरे का दरवाजा खुला एक व्यक्ति मेरे कमरे में दाखिल हुआ। मैं सहमकर बेड पर बैठ गया लेकिन यह क्या ? उसनें इंसान की तरह मुस्कराकर मेरा स्वागत किया, वह कुछ-कुछ मेरे जैसे मिलते-जुलते कपड़ों में था।

चेहरे पर एक चश्मा छोड़कर कोई कृत्रिम उपकरण नहीं लगा था। वह मनुष्य ही लग रहा था परन्तु पारदर्शी चश्में के भीतर उसकी गहरी कत्थई आँखें दिखलायी दे रही थीं। इस रंग की आँखों वाला मनुष्य मैंने अपने जीवन में नहीं देखा था। उसने मुझे खाने के लिए बड़े-बडे चार कैप्सूल और काँच की तरह के एक बडे गिलास में पेय पदार्थ पेश किया। मैं किंकर्त्व्यविमूढ़ सिर्फ उसे निहारता जा रहा था। वह मुझे पकड़कर एक-एक कर कैप्सूल मेरे मुँह में डालता रहा और मैं उस पेय पदार्थ से उसे गटकता रहा। कैप्सूल और पेय मेरे ग्रहण कर लेनें के बाद वह चला गया। अब मुझे अपने अन्दर एक अजब स्फूर्ति और ऊर्जा महसूस हो रही थी, शायद कैप्सूल और पेय मल्टीविटामिन, मल्टीमिनरल और जीवन के लिए आवश्यक पदार्थों से निर्मित थे। अब मुझे निद्रा आ रही थी मैं सो गया ।

    जब मैं सोकर उठा तो मैं अच्छा महसूस कर रहा था। मैंनें देखा दीवार पर कैलेण्डरनुमा कोई इलेक्ट्रानिक डिवाइस टंगी थी। नजदीक जाकर मैनें देखा वह कैलेण्डर ही था। उसमें आज के रोमन अंकों में ही दिनांक प्रदर्शित हो रहा था। मैंने तारीख देखी, 05 जनवरी,4871। मैं सन्न रह गया मुझे याद आया कैसे मैं टाइम मशीन पर बैठकर मशीन और आविष्कारकर्ता की खिल्ली उड़ा रहा था। कैसे एकाएक मुझे चक्कर सा महसूस हुआ था और मैं चेतना शून्य होता जा रहा था। मैं टाइम मशीन में बैठकर भविष्यकाल में आ गया था।


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