यशी की पहली जीत
यशी की पहली जीत
यशी को कंलकिनी कहने वाले पति ने आखिर घुटने टेक दिये। उसको समझ में आया कि आखिर सच ही होता है किसी के जीवन का समाजिक होना या किसी से बात करने से कोई हमेशा गलत नहीं हो जाता है। गलत हमारी मानसिकता होती है हम जो सोचते है, वही हमें दिखायी पड़ता है। किसी का बेपरवाह होना या समाज की ना करना उसका कंलकित होना नहीं होता है।
बहुत हो गयी बड़ी बड़ी बाते अब यशी के बारे में भी बता दें। यशी एक समाजिक महिला जो अपने लिये नहीं दूसरो के लिये जीती है। यही शायद उसकी गलती है पर उसको जीवन अपने हिसाब से ही जीना है और शायद ऐसे लोगो के साथ ऐसा ही होता है। ऐसे लोगो को यही सजा मिलती है और यशी को मिली। यशी आज बहुत खुश है, चलो आजादी तो मिलेगी। बस यही अहसास ही खुशी को बहुत है।