शराफत
शराफत
"और कितनी देर है " सुबीर ने बेचैनी से पूछा
"ये प्रोजेक्ट भी आज ही पूरा कर के देना है सर ने कहा है थोड़ा रुक जाओ और काम खत्म कर लो" इरा ने बड़े अनमने मन से कहा
इरा अच्छी तरह जानती थी कि उसके बॉस जानबूझ कर देर करवा रहे थे इससे पिछली बार भी जब रोका था तो, तो सोच कर उसका मन में लिज़लिज़ाहट भर जाती है और उसकी माँ कहती है देख लिया कर इरा जमाना ख़राब है किसी बड़े के साथ आया जाया कर, कितनी मुश्किल से भाग पाई थी उस दिन ऑफिस से I
और दूसरे दिन उसका सहकर्मी सुबीर खुद ही समझ गया था आखिर तीन सालों का साथ है पर शायद सुबीर को भी घर जाने की जल्दी होगी अभी साल भर ही तो हुआ है शादी हुए ये तो उसकी शराफत है जो उसका इतना ध्यान रखता है कि ऑफिस में इरा को बॉस के साथ अकेला नहीं छोड़ता
उसके दादा की उम्र के है और आँखे तो देखो उनकी, बिलकुल एक्सरे करती हैं उनकी वजह से जींस पहनना छोड़ दिया दुपट्टा नहीं ले पाती थी तो उनके कमरे में जाने पर उफ्फ्फ
नौकरी उसकी मजबूरी ही सही पर हर बात की एक हद होती है वो भी कब तक सहेगी सोचती हुई एक नए आत्मविश्वास और एक नए निर्णय के साथ इरा उठ कर बॉस के कमरे की और चल दी