अटल विश्वास
अटल विश्वास
एक समय की बात है, आटपाट शहर में एक राजकुमारी रहती थी। अपनी प्रजा की दुख, गरीबी और विवशता भरी बातें सुनकर वह अपने पिता को परेशान पाती। वह सोचती कि मेरे राज्य में कोई हँसता नहीं, खुशी से बच्चें खेलते नहीं। राज्य पर यह क्या संकट आया है? मुझे मेरे राज्य को खुशहाल बनाना चाहिए।
राजकुमारी ने ग्रंथों में पढ़ा था, एक अनोखी बांसुरी के बारे में, जिसकी धुन से खुशियों की लहरें वातावरण को प्रसन्न कर देती हैं। मन में निश्चय कर छुपते छुपाते रात में अपने प्रिय सफेद घोड़े पर सवार होकर वह बांसुरी की खोज में निकल पड़ी।
घने जंगल में राजकुमारी अपना रास्ता भटक गई और उसने एक गुफा में शरण ले ली। छोटीसी मोमबत्ती जलाकर बांसुरी पाने का विचार करने लगी तभी गुफा की दीवार पर कुछ लिखा था। उत्सुकता में पढ़ा तो समझा कि यह तो पहेलियाँ हैं -
‘मुझमें है संसार समाया सारा
रहती हूं मैं सबके हृदय में
विश्वास करो खुद पर और मुझमें
पहचानो मुझे और हॅंसो मन में’
इस रहस्यमय पहेली के बारे में सोचते सोचते राजकुमारी की आंख लग गई। सुबह घोड़े को घास डालने जब राजकुमारी पहुंची तो खुशी से घोड़ा हिन-हिनाया। राजकुमारी को पहेली का हल मिला - "खुशी" - जो घोड़े के बर्ताव में नजर आई।
दूसरी पहेली-
‘काष्ठ वाद्य परिवार की मैं एक सदस्य
मेरा प्रथम निर्माण किया महादेवने
सुर से मंत्र मुग्ध होता वृंदावन
गोविंदा के मंदिर की मैं धन’
बांसुरी... यही है हल...।।।
आनंदित राजकुमारी सीधे महल के मंदिर में पहुंची और कृष्ण भगवान को नमन कर बांसुरी बजाई। और क्या चमत्कार-
सारे काले बादल आसमान से हट गए, फूल खिलने लगे और चिड़ियाँ चहचहाने लगी। दरबारी खुश दिखे, किसीके चेहरे पर कोई पीड़ा नहीं थी।
राजकुमारी ने मन ही मन कान्हाजीके आभार प्रकट किए और भविष्य में उस अनोखी बांसुरी की जी जान से रक्षा की।