कुछ बातें यह भी
कुछ बातें यह भी
वह कल होने वाले कॉलेज के समारोह के बारे में सोच रही थी। मेथीली को उस समारोह में गाना था।
इसलिए इस बारे में मेथीली घर के एक कोने में बैठी ,बाहर खाली गली को देखते हुवे सोच रही थी। शाम हो रहा था।
मेथीली गाने से पहले राग का अभ्यास करने लगी और उसका स्वर बहुत मंद गति से प्रारंभ हुवा ,जिसको वो गाते हुवे ही ठीक करने लगी और समीप के गली की तरफ दखते हुवे गाना प्रारंभ किया।
विद्या देवी धात्री विद्या की ........
इस तरह वो गाने लगी वो स्वर को और बढ़ाना चाहती थी लेकिन बढ़ा नहीं पा रही थी ,उसे गाते हुवे लग रहा था की स्वर को बढ़ाने से गाना और भी अच्छा लगेगा।
लेकिन वो स्वर नहीं बढ़ा पा रही थी, वह अकेले गाते हुवे ही यह सब सोच रही थी ,उसने एक बार सभी तरफ गाते हुवे देखा वहाँ कोई नहीं था।
मेथीली ने गाते हुवे ही फिर स्वर को बढ़ाने का प्रयास किया तो वो बढ़ने लगा। अब उसे लगने लगा कि अब वो गाना वैसे ही गा रही है जैसे उस गाने को उसकी माता जी ने लिखा था।
मेथीली ने गाते हुवे अपने गली को देखा वो खाली था , इसलिए उसने अपने स्वर को और बढ़ाया ,उसका गाना वहाँ छाने लगा और मेथीली को भी गाते हुवे ऐसा लगा कि वो वैसे ही गा रही है जैसा वो गाना चाहती है। इसलिए उसे अच्छा लगा ।
मेथीली का स्वर घर में भी छाने लगा लेकिन मेथीली की माता जी के लिए तो यह साधारण सी बात थी क्योंकि मेथीली को जब भी मन करता वो घर के एक कोने में अकेली बैठ गाती थी।
लेकिन इस बार उनको भी मेथीली का गाना कुछ अलग लगा और अच्छा भी लगा। वो मेथीली के समीप नहीं गयी क्योंकि वो जानती थी कि उनके जाते ही मेथीली का स्वर ठीक नहीं आयेगा। वो मेथीली का गाना ऐसे ही सुनने लगीं। उनको लगा जैसे पूरे घर में मेथीली का स्वर छा रहा हो।
मेथीली की माता जी ने गाना सुनते हुवे मन में सोचा कि - जब मैं उसे गाने को बोलती हूँ तो नहीं गाती लेकिन अकेले बैठ गाती है क्या सोच है इसका। जो भी हो मेथीली गा तो अच्छा ही रही है।
गली में कुछ बच्चे जो खेल रहे थे वो मेथीली का गाना सुन रुक गये और एक और नया गाना सीखने मेथीली के घर की तरफ चल पड़े।
मेथीली गाने में ही लगी थी इतने में उन कुछ बच्चों को मेथीली की माता जी लेकर मेथीली की तरफ चलीं।
मेथीली ने गाते हुवे ही बच्चों को देख बैठने का संकेत किया। मेथीली ने गाते हुवे ही माता जी को संकेत किया कि वो क्यों वहाँ आयीं हैं ,उन्होंने पहले मेथीली को स्वर ठीक करने को कहा जिसे सुन मेथीली गाते हुवे बच्चों की तरफ देखने लगी।
छोटे बच्चे भी मेथीली को गाते देख ,उस गाने को सीखने के बारे में सोचने लगे। मेथीली ने तो अकेले गाने का प्रारंभ किया लेकिन बच्चों को देख वो सोचने लगी की उसने अच्छा ही गाया होगा।
मेथीली का का गाना पूर्ण हुवा और वो बच्चों की तरफ देख संकेत किया कि कैसे गाया मैंने ,सभी बच्चों ने कहा - अच्छा है और उन बच्चों में कुछ उस गाने को फिर से गाने का प्रयास करने लगे पर वो गा नहीं पा रहे थे फिर भी कुछ गाना चाहते थे।
मेथीली की माता जी को यह सब देख कर बहुत अच्छा लगा , क्योकि उनके गाने को बच्चे भी सीखने वाले थे और जिस गाने को उन्होंने बहुत समय पहले लिखा था ,उसे वो भी इतनी अच्छी तरह नहीं गा सकती थीं जितनी अच्छी तरह से मेथीली ने अकेले बैठ कर गाया था।