जादुई चिराग
जादुई चिराग
अलादीन का जादुई चिराग कहीं खो गया, कहाँ खो गया, मालूम नहीं, कब से खोज रहा था बेचारा अलादीन| कभी अलमारी में तो कभी बक्से में, कभी पलंग के नीचे तो कभी पलंग के ऊपर, सारा घर उलट पुलट कर रख दिया, लेकिन जादुई चिराग नदारद|उसका कुछ भी अता पता नहीं मिल पा रहा था| आखिर गया तो कहाँ गया? धरती निगल गई या आसमान खा गया? कहाँ रखकर वह भूल गया|”शायद उसका वह जादुई चिराग उसके किसी मित्र या किसी रिश्तेदार के यहाँ भूल से छूट गया है," यह सोच वह अपने घर से बाहर निकल अपने परिचितों के घरों में उस जादुई चिराग की खोज में निकल पड़ा, लेकिन सब जगह से उसे निराशा ही हाथ लगी|
थक हारकर, निराश होकर अलादीन एक पार्क की बेंच पर बैठ गया| अपने जादुई चिराग के खो जाने पर वह बहुत दुखी था, रह रह कर उसे अपने जादुई चिराग और उसमें बंद जिन्न की याद सता रही थी| ”कहीं उसका जादुई चिराग चोरी तो नहीं हो गया,” यह सोच वह और भी परेशान हो गया, ”अगर किसी ऐरे गेरे के हाथ लग गया तो, बहुत गड़बड़ हो जाएगी, अनर्थ भी हो सकता है| नहीं-नहीं मुझे अपना वह जादुई चिराग वापिस पाना ही होगा|" भारी कदमों से अलादीन बेंच से उठा और धीरे-धीरे बाहर की ओर चलने को हुआ ही था कि सामने से एक भद्रपुरुष हाथ में जादुई चिराग लिए उसके पास आये| उसे देखते ही अलादीन उछल
पड़ा, ”अरे मेरा यह जादुई चिराग आपके पास कैसे? मैंने इसे कहाँ-कहाँ नहीं ढूंढा, मैं इसके लिए कितना परेशान था, कहीं आपने इससे कुछ माँगा तो नहीं?” "अच्छा तो आप ही अलादीन है, आपका यह जादुई चिराग तो सच में बहुत कमाल का है, मैंने इसे अपडेट कर दिया है और इसने कितने ही घरों के बुझते चिरागों को रौशन कर दिया है, तुम भी देखना चाहोगे,” यह कहते हुए उस भद्रपुरुष ने अपने हाथ से उस जादुई चिराग को रगडा और उसमें से जिन्न ने निकलते ही बोला, ”हुकम मेरे आका|" ”कौन हो तुम ?” भद्रपुरुष ने पूछा|
जिन्न ने बोलना शुरू किया, ”मैं अभी, इसी समय का एक अनमोल पल हूँ, वह क्षण हूँ मैं जो तुम्हारी दुनिया बदल सकता है, मैं वर्तमान का वह पल हूँ जो एक सुदृढ़ पत्थर है तुम्हारे सुनहरे भविष्य की ईमारत का| तुम चाहो तो अभी इसी पल से उसे सजाना शुरू कर सकते हो, इस पल की शक्ति को पहचानो, व्यर्थ मत गंवाओ इस कीमती क्षण को| तुम अपनी जिन्दगी की वह सारी की सारी खुशियाँ पा सकते हो इस क्षण में, वर्तमान के इस क्षण के गर्भ में विद्यमान है हमारे आने वाले कल की बागडोर| वर्तमान का यह पल हमारे आने वाले हर पल का वर्तमान बनने वाला है, जीना सीखो वर्तमान के इसी पल में, जिसने भी इस पल के महत्व को जान लिया, उनके घर खुशियों से भर जाएँगे, जगमगा उठेगी उनकी ज़िन्दगी|" इतना कहते ही जिन्न वापिस उस जादुई चिराग में चला गया| अलादीन अवाक सा खड़ा देखता रह गया, कभी वह अपने जादुई चिराग को देखता तो कभी मुस्कुराते हुए उस भद्रपुरुष को| हाथ आगे बड़ा के उसने उस भद्रपुरुष से अपना वह जादुई चिराग ले लिया और उसी पल उसने फैसला कर लिया कि वह निकल पड़ा अपने जादुई चिराग के साथ पूरी दुनिया को उसका उसका चमत्कार दिखाने|