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प्यार का बाज़ार -फेसबुक

प्यार का बाज़ार -फेसबुक

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आजकल की दुनिया में प्यार तो एक ढोंग सा हो गया है...

क्या जब यह इंटरनेट नहीं था फेसबुक नहीं था, तब क्या हम प्यार नहीं करते थे...

 

अरे यारों हम हिन्दुस्तानियों के मुहब्बत के किस्से तो हजारों साल पुराने हैं....

पर आज की दुनिया में  सच्ची मुहब्बत की कोई कीमत नहीं है...

 

एक तो इस इंटरनेट वालों ने मजाक बना रखा है ऊपर से बची खुची कमी बॉलीवुड ने पूरी कर दी है...

 

90 का दसक जाते जाते भारतीय सिनेमा को कहां से कहां ले गया और उसके बाद जो भी कसर रही थी उसे माननीय इमरान हाशमी और मल्लिका शेरावत ने पूरा कर दिया...

और पता नहीं अब क्या कमी रह गयी थी के श्रीमती सनी लियॉन को भी बॉलीवुड में एंट्री दे दी...

 

शायद यह भी हो सकता है कि भारतवर्ष में सेक्स सम्बंधित शिक्षा को बढ़ावा दिया जा रहा हो...

 

पर कुछ भी कहिये असली मायने में हम अपनी परम्परा या अपने प्यार को खोते जा रहे हैं...

और आजकल की युवा पीढ़ी ने तो प्यार को मजाक समझ रखा है...

पहले फेसबुक पे प्यार करेंगे फिर कुछ समय बाद ब्रेकअप तो ऐसे करते हैं जैसे कुछ हुआ ही नहीं था। उसके बाद जय हो हन्नी बाबा की जिन्होंने ब्रेकअप पार्टी करना सिखा दिया...चाहे कुछ भी हो दारू पीकर सिगरेट के सुट्टे लगाएंगे...2-3 दिन का शोक मनायेंगे जैसे सबसे बुरा इनके ही साथ हुआ है ...और फिर निकल पड़ेंगे, अपनी फेसबुक पे अपनी नई लवर को ढूंढने...

 

ऐसे लोगों को कोई फर्क ही नहीं पड़ता अपनी मस्ती के लिए किसी की जिंदगी ख़राब तक कर देते हैं...

 

ऐसा नहीं है की अब सच्चा प्यार नहीं बचा है...अभी भी इस दुनिया में ऐसे लोग हैं जो मुहब्बत के लिए जान देते हैं पर अपने भारत में ऐसे लोग सिर्फ जान ही देते हैं, उससे आगे वो कुछ नहीं कर पाते...

 

क्योंकि एक सच्चे लड़के को सच्चा प्यार करने वाली लड़की नहीं मिल पाती इसलिए वो टूट जाता है और एक अच्छी और सच्ची लड़की को सच्चा लड़का नहीं मिल पाता जो उसे उसका बिना उपयोग किये बिना सच्चा प्यार कर सके....

 

और अगर ऐसा हो भी जाये तो फिर अब बारी आती है दुनिया की जो उन्हें मिलने नहीं देते..

 

और अगर वो हिम्मत करके शादी कर भी ले तो फिर शादी ज्यादा समय तक टिक नहीं पाती...क्योंकि इस समय वो लोग हमेशा एक्टिव रहते हैं जो उनकी शादी के खिलाफ होते है...

 

क्यों की उन्हें गवारा नहीं होता के कोई दो प्रेमी सुख से अपनी जिंदगी काट ले...

हम भारतवासी प्यार के लिए इतने लापरवाह नहीं थे परन्तु इस आधुनिक बॉलीवुड ने और बढ़ती एजुकेशन ने हमें ऐसा बना दिया है...

 

हम इस वजह से अपना प्यार परिवार मर्यादा खोते जा रहे हैं....

 

अक्सर लोगों का पहला प्यार अधूरा रह जाता है...

पता है क्यों???

क्योंकि अक्सर हमें पहला प्यार अठारह की उम्र में होता है जिस समय हम अपनी स्टूडेंट लाईफ जी रहे होते हैं...और हम उस समय जो प्यार करते हैं, वो सबसे सच्चा होता है क्योंकि उसमें न छल होता है और न ही कपट...न पैसे की चिंता ना लोगों का डर...

न छूटने की चिंता न ही करियर खत्म होने का डर...

पर फिर भी वो अधूरा रह जाता है हमेशा हमेशा के लिए...

 

क्यों??

 

क्या आप में से कोई बता सकता है... की ऐसा क्यों होता है???  

 

 


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