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तीन दिन भाग 2

तीन दिन भाग 2

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भाग 2

शुक्रवार 14 अगस्त सुबह 11 बजे

 

          किले के एक विशाल कमरे में एक अंडाकार मेज के इर्द-गिर्द रखी कुर्सियों पर सभी अठारह लोग बैठे हुए थे। ऊपर पुराने जमाने का एक विशाल झूमर लोहे के बहुत वजनी सीकड़ से लटका हुआ हवा के झोंके के कारण धीमे धीमे हिलकर चूँ चूँ की हलकी आवाज कर रहा था। सभी आपस में गुटुर गूं कर रहे थे तभी रमन सिंह की भारी भरकम आवाज गूंजी," मेरे अजीज दोस्तों! हम तीन दिन एक नए अनुभव से गुजरेंगे! सैकड़ों साल पहले इस किले में रहने वाले कुछ लोगों की तरह ही हम ये तीन दिन बिताएंगे। इस दौरान हमें न नौकर चाकर उपलब्ध होंगे न बिजली मिलेगी और न ही नल खोलते ही पानी उपलब्ध होगा। भोजन तो काफी मात्रा में आ चुका है पर  प्यास लगने पर कुंए से पानी खींच कर निकालना होगा। हमारे देश के अधिकाँश लोग जिस तरह जीवन बिताते हैं वैसे ही हम तीन दिन बिताएंगे। हमें भी उन लोगों के जीवन का थोड़ा अंदाजा लग सकेगा। 

यह अच्छी बात है, सुदर्शन जी गंभीरता से सर हिलाते हुए बोले, तब हम गरीबों की समस्याओं को समझ भी सकेंगे और उनके प्रति अपने नजरिये में बदलाव भी ला सकेंगे। शोभा ने भी सर हिलाकर अपने पति की बात का समर्थन किया। डॉ मानव और कामना ने भी अनुमोदन किया लेकिन मजदूर नेता सदाशिव म्हात्रे हत्थे से उखड गया और बोला, साला ये कौन सा पिकनिक हुआ? वैसेइच बाहर क्या कम टेंशन है जो इधर आके नया लफड़ा लेने का? ललिता जो उसकी बगल में बैठी थी उसने अपने पति के कन्धे पर मुलायमियत से हाथ रखा तो वो थोड़ा शांत हुआ पर उसका भुनभुनाना बंद नहीं हुआ। 

रमन ने एक कहकहा लगाया और बोले दोस्तों। अब कुछ नहीं हो सकता। अब रोकर काटो या हंसकर, तीन दिन तो यहीं काटने हैं। श्रीवास्तव अब 16 अगस्त की रात को 12 बजे आकर ही गेट खोलेगा। अब हम चाहकर भी कुछ नहीं कर सकते। यहां कुछ पीठ पर लादे जाने वाले बैग हैं उनमें अपने काम के सामान भर लीजिये और जहां मन करे वहाँ घूमिये। हम नाश्ते लन्च और डिनर पर मिलेंगे । सुबह नौ बजे नाश्ता दोपहर दो बजे लंच और रात दस बजे डिनर यहीं किया जाएगा। आप चाहें तो अपने जीवन साथी के साथ घूमिये या चाहें तो अकेले! आपकी अपनी मर्जी !! पहलवान चंद्रशेखर ने रमन की बात ख़त्म होने पर ताली बजा दी तो सबने देखादेखी ताली बजा दी। फिर एक दूसरे को देखकर हंसने लगे। उसके बाद वातावरण हल्का फुल्का हो गया।

कहानी आगे जारी है ........

लेकिन यह हल्का फुल्का वातावरण बहुत जल्द मौत के सन्नाटे में कैसे बदला यह जानने के लिए पढ़िए अगला भाग  3


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