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divya sharma

Drama Romance

0.4  

divya sharma

Drama Romance

मिलन

मिलन

3 mins
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“मिलना चाहती हूँ तुम से...”

इतने सालों बाद उसकी आवाज सुन कर शिव स्तब्ध रह गया।

”नीलिमा…”

“पहचान गए शिव।”

”भुला कब था, खैर छोडो कहाँ हो तुम मैं अभी आ जाता हूँ।” शिव ने खुश होते हुए कहा।

वो इतना खुश था कि उसकी आँखों में नमी थी।

शाम को उसी समय उसी जगह, कह कर नीलिमा ने फोन काट दिया।

पूरा दिन शाम होने का इंतजार करता रहा शिव ।

ठीक समय पर पहुंच गया ।

पर वो नहीं आई थी अब तक।

एक एक पल भारी हो रहा था।

अचानक वहीं खुशबू ..वो सामने ही खडी थी।

बिल्कुल वैसी ही जैसी पहले थी, इन पंद्रह साल में बिल्कुल नहीं बदली।

वैसी ही काजल से भरी आँखें, वैसे ही बाल वही होंठ...

”तुम तो बिल्कुल नहीं बदली उतनी ही सुंदर..”

“हां ,क्योंकि किसी ने कहा था कि सदा ऐसे ही रहना।”

मुस्कुरा दिया वो ये सुन कर।

“तुम कैसे हो... शिव ?”

”ठीक हूँ, आज अचानक इतने सालों बाद मुझसे मिलने का मन कैसे किया ? “

”और मेरा नम्बर ?”

“मालती से मिला !”

”ओह्... बैठो ना नीलिमा।”

“...और सब कैसे है शिव ,मां और...

” क्या नीलिमा?”

“तुम्हारी पत्नी।” - कह कर मुर्झा गई वो।

”मां नहीं रही।”

“कब...?”

“पाँच साल पहले।”

"ओह..."

“छोडो, नीलिमा तुम बताओ कैसी हो और कौन है वो जिसके साथ शादी की ?”

“मैंने शादी नहीं की शिव।”

”पर क्यों ?”

चुप रही वो...।

“बोलो ना नीलिमा।”

“क्योंकि किसी और को दिल में नही बसा पाई।

तुमको याद है शिव अपने कालेज में मेघा ?"

"हां याद है ..कैसी है वो ?"

"उसकी दो बेटियां हैं कितनी प्यारी।" - आँसू आ गए उसकी आँखों में...अगर मेरी शादी होती तो मेरी भी...”

“हम्म...”

“और बताओ नीलिमा तुम्हारे घर में सब कैसे है ?”

“सब ठीक है, अपनी दुनिया में मस्त ! शादी कर दी दोनों बहनों की और सब बहुत खुश हैं और मैं फ्री।”

ओह माफ करना मै खुद बोले जा रही हूं और तुम चुप हो।

तुम बताओ ना, बच्चे कितने बडे हो गए और तुम्हारी पत्नी ?”

“बच्चे नहीं है और पत्नी बहुत अच्छी है।”

“कितनी अच्छी बात, तुम खुश हो ये सुन कर दिल को तस्सली हो गई ।”

नीलिमा बोली -

"अच्छा सुनो शिव मैं चलती हूँ..सुबह वापस जा रही हूं, हो सके तो पत्नी के साथ इंदौर जरूर आना।”

“ना चाहा किसी और को ना चाहूँ मैं अब

तु ही मेरा खुदा तु ही मेरा रब

कि समेटो मुझे मैं हूँ अकेला

तुझे मै भूलूँ मर जाऊं जब ।

नीलिमा तुमको ही अब तक जीवन संगनी माना है !”

मै तुम्हारे होते शादी कैसे करता ? तुम ही मेरी पत्नी हो।

नीलिमा मत जाओ। मै आज भी तुम्हारा इंतजार कर रहा हूँ ...।किसी और को जीवन में कैसे ले आता जब तुम गई ही नहीं।”

"शिव !" - भाग कर लिपट गई वो

कितनी देर यूं ही रोती रही...।

“पर। शिव मैं आज भी वही हूं मेरी जात वही है तुम्हारे अपने ?”

“किसी की नहीं सुनने वाला मैं, काश ये हिम्मत पहले कर पाता।

लेकिन अब जाने ना दूंगा।”

"आत्मा का मिलन तो बरसों पहले हो गया था, बस रिश्ते की मोहर बाकी है...।"

रात होने लगी और रजनीगंधा महकने लगी।


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