स्वाद
स्वाद
बहू ने सासू माँ को रसोई से हटाते हुये कहा ।
“अम्मा जी आपका यूँ रसोई में काम करना अच्छा नहीं लगता। कोई देखेगा तो क्या कहेगा। चार-चार बहुएं इनकी और ये फिर भी रसोई मे खट रही हैं ।आप तो बस खाट पर बैठ कर हुकुम चलाती अच्छी लगतीं हैं”
सासू माँ रसोई मे डटे हुये ही बोलीं ...
“ऐसा है बहू अगर कोई तुमसे कुछ कहे तो कह देना, हमारी सासू माँ में बहुत दम है। वो हमें ही नहीं तुमको भी पूरा खाना बना कर खिला देंगी। क्या तुम चाहती हो कि हम समय से पहले ही अशक्त हो जायें और मन का खा भी ना सकें। अरे जब तक हाथ पैर चलते रहेंगे मैं रसोई में काम करती रहूँगी और तुम सबको अपने हाथो के स्वाद का जादू दिखाती रहूँगी”
बहू भी कम ना थी बोली “आप जो चाहेंगी कहेंगी वही हम पकायेंगे। आपके सामने जब आपसे सीख कर कुछ बनायेंगे तभी तो आपके हाथों का स्वाद अपने हाथों से पके भोजन में ला पायेंगे। अगर आपको अपने बेटे की जुबान पर जीवन भर उसकी माँ के हाथो का स्वाद बनाये रखना है, तो हमारे भी हाथो मे अपना जादू चला दीजिये”
“भला कोई तुमसे आज तक बातों में जीत सका है“ कहते हुये सासू माँ बहू को भोजन में स्वाद जगाने के गुण सिखाने लगीं।