गुलमोहर का दर्द
गुलमोहर का दर्द
एक फूल था गुलमोहर का। अपनी दुनिया में मस्त, बाकी दुनिया से बेखबर। अच्छे बुरे से दूर। एक दिन कही से एक भंवरा आया। इक प्यारा भंवरा जो बाकी भंवरों से अलग था। उसे फूल का रस नहीं चाहिए था। वो तो फूल से अपना सुख दुख बांटना चाहता था। फूल को भंवरा बहुत अच्छा और नेक नीयत लगा। दोनो में दोस्ती हो गई।
दोनों हर रोज घंटों अपने अपने सुख दुख बांटते और खुश रहते। धीरे-धीरे गुलमोहर और भंवरा एक दूसरे के नजदीक आते गए। गुलमोहर का फूल मन में सपने सजाने लगा। भंवरा भी उम्मीद जगाने लगा।
कुछ दिन बाद गुलमोहर और भंवरे दोनों ने अपने-अपने दिल की बात बताई एक दूसरे को। गुलमोहर खुश था बेइंतहा भंवरे के दिल की बात जानकर।
पर उस दिन के बाद भंवरा उदास हो गया।
एक दिन गुलमोहर के पूछने पर भंवरे ने उसे बताया कि वो तो गुलाब के फूल के साथ जीवन बिताने का वादा उससे मिलने से पहले ही कर चुका है। गुलमोहर टूट गया।
फिर उसने भंवरे से कहा कि वो अपना वादा निभाए क्योंकि वो एक अच्छा भंवरा है।
और भंवरा अपने गुलाब के पास उड़ गया गुलमोहर को छोड़कर।
तभी से गुलमोहर सुगंध रहित हो गया और गुलाब का फूल आज भी प्रेम की खुश्बू से महकता है।