Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Atul Agarwal

Comedy Drama

1.0  

Atul Agarwal

Comedy Drama

पार्टी

पार्टी

9 mins
7.8K


आगरा की नीरक्षीर कम्पनी का ज्यादातर स्टाफ कम्पनी की कॉलोनी में ही रहता है. करीब २५० कर्मचारी और लगभग ६०० उनके परिवार के सदस्य. कॉलोनी कम्पनी के हैड ऑफिस और फैक्ट्री के बगल में ही ग्वालियर रोड पर स्थित है. सफाई कर्मचारी, चपरासी, माली, प्लम्बर, इलेक्ट्रीशियन, बाबू, ऑफिसर, मैनेजर, असिस्टेंट जनरल मैनेजर और जनरल मैनेजर आदि सभी को पदों के अनुरूप कॉलोनी में फ्लैट या बंगला एलोट है.

कॉलोनी की ही एक सम्भ्रांत महिला श्रीमती शीना जी के पति का जनरल मैनेजर पद पर प्रमोशन हुआ. शनिवार और रविवार को अपने परिवार के साथ खूब सेलिब्रेशन हुआ. सोमवार को शीना जी ने अपने पति के प्रमोशन की एक ऐसी पार्टी करने की परिकल्पना करी कि जिसमे उन पर ही काम और खर्चे का सारा बोझ ना पड़े, बल्कि सहभागिता से काम हो जाये.

विचार से ही कर्म की उत्पत्ति होती है. सोमवार को निकल पड़ी अपने मिशन पर. एक सह उम्र पड़ोसी मालती से हा में हा भरवाई. दोनों ने एक वरिष्ठ पड़ोसी श्वेता जी को कॉन्फिडेंस में लिया. एक से भले दो, और दो से भले तीन. यह तय हुआ कि प्रथम या प्रमुख आयोजक महिला के निवास पर आने वाले शनिवार ( माह के दूसरे शनिवार यानि छुट्टी के दिन ) को पार्टी होगी, अमुक अमुक परिवार सम्मिलित होंगे और मीनू भी तय हुआ. ऊपर वाले तीन परिवारों को मिला कर कुल आठ परिवार.

शीना, मालती, श्वेता, बीना, आरती, विद्या, ममता और बिन्दु के परिवार. पति और बच्चो समेत कुल ३० लोग.

मेन्यू में आठ डिश भी तय हुई. प्रथम आयोजक महिला शीना के यहाँ तंदूरी नान, मालती के यहाँ फूल गोभी, श्वेता जी के यहाँ दाल मखनी, बीना के यहाँ पुलाव, आरती के यहाँ रायता, विद्या के यहाँ पनीर की सब्जी और ममता के यहाँ सलाद बनना तय हुआ. बिन्दु के बच्चे छोटे होने के कारण कोल्ड ड्रिंक की जिम्मेदारी तय हुई. सभी को अपनी अपनी डिश बनाकर डिनर से पूर्व शीना के यहाँ पहुचानी थी.

पार्टी या यूंं कहिये कि समाज का सामूहिक विवाह कार्यकर्म के न्योते और जिम्मेदारिया बंट गई. यह भी तय हुआ घर के आदमियों को सूचना या आदेश शुक्रवार की शाम को दे दिया जायेगा, मालती को छोड़ कर, क्योकि उनके लिए रोज का रोजनामचा पतिदेव को बताना जरूरी था.

न्योते और जिम्मेदारी बाटने के कार्यकर्म में छुट पुट विघ्न तो आने ही थे. ममता ने पिछली किसी अनदेखी के कारण पार्टी में समिल्लित होने को मना कर दिया. शीना, मालती और श्वेता की फिर मीटिंग हुई. निर्णय हुआ की पिछली बात के लिए माफ़ी मांग कर एक बार और प्रयास किया जाये. सॉरी शब्द ने कमाल दिखाया. लेकिन अपने स्टेटस को देखते हुए ममता सलाद के लिए तैयार नहीं हुई.

फिर तय हुआ की ममता जी खीर लायेंगी. इस से स्वीट डिश न होने की भूल भी ठीक हो गई. आयोजक शीना को अब तंदूरी नान के इलावा सलाद का इन्तजाम भी करना था.

अगले दिन मंगलवर को मालती श्वेता जी के पास आई और बताया की उनके पति का तो जनरल मैनेजर पद पर एक साल पहले ही प्रमोशन हो गया था. मालती ने यह भी बताया की उनके पति ने कहा है कि बच्चो की पसंद का आइटम कम है, इसलिए उनके यहाँ से फूल गोभी के अतिरिक्त चाऊमीन भी आएगा. आखिर उनको अपनी सिनियरीटी भी तो शो करनी थी.

बिन्दु भी श्वेता के पास आई. बिन्दु के पति अभी असिस्टेंट जनरल मैनेजर ही थे. बिन्दु ने बताया की उनके पति की सैलरी शीना और मालती के पतियों के बराबर हैं भले ही वो दोनों जनरल मैनेजर है. बिन्दु को भी खाली कोल्ड ड्रिंक की जिम्मेदारी खल रही थी. क्योंकि उससे उनके जौहर को दिखाने का मौका नहीं मिलेगा. बिन्दु ने श्वेता को कॉन्फिडेंस में लिया और बताया की वह स्टार्टर में समोसे ले आएगी. लेकिन किसी और को बतानें को मना किया.

पार्टी अपने नियत दिन और समय से शुरू हुई. सभी घराती भी थे और बराती भी. सभी प्रतियोगी अपनी अपनी डिश लेकर हाजिर थे. सभी को अपना पाक कौशल दिखाना था. सभी प्रतियोगियों में होड़ थी की उसीका बनाया हुआ व्यंजन सबसे ज्यादा खाया जाये और उसकी भरपूर तारीफ हो.

ऐसे में शीना ने तुरुप का इक्का खेला. उसने उदघोषणा कर दी की बची हुई डिश वापिस ले जानी होगी. अब कुछ लोगो की कोशिश थी की उनकी बनायीं हुई डिश बच जाये जिससे की अगले दिन रविवार को काम आ सके.

श्वेता जी के पति होने के नाते हम भी सामूहिक भोज में वरिष्टतम मेहमान की तरह शामिल थे. हमारे यहाँ से दाल मखनी आई थी. मकखन को पास में रख कर दाल मखनी बनाई गई थी. जैसे पूजा के बाद आरती ली जाती है, एक बार या तीन बार, उसी प्रकार से मकखन के पैकेट को पास में रख कर उसकी हवा हाथ से दाल की तरफ एक या तीन की जगह पांच बार की गई थी. यह बात श्वेता जी और हमें ही पता थी. औरों पर व्यंग्य करने से पूर्व अपने पर व्यंग्य करना ठीक रहता है, अतः सबसे पहले दाल के बारे में लिखालाइट पीला कोल्ड ड्रिंक १०० मिलिलिटर के डिस्पोजल गिलास में और कम भरावन वाले छोटे छोटे समोसे हरी चटनी के साथ सर्व हो चुके थे. चटनी हरी थी, यही उसकी अच्छाई थी, निम्बू और मिर्चा न हो तो उससे क्या फ़रख पड़ता है. लाइट पीला कोल्ड ड्रिंक पीने के लिए हमें यह बात दिमाग से निकालनी होती है की यह शिवाम्भू है. और कुल १०० मिलिलिटर की ही तो बात थी. एक साँस में गटक गए. खोकले समोसे बनाने की कला या तो किसी पुराने हुनरमंद ने सिखाई थी या फिर यू टयूब से रेसिपी (विधि) आज़माई थी। फिर थोडा नाच गाना हुआ. हमने भी अपनी धर्मपत्नी की तरह देखते हुए निम्न चार गानों की एक दो पंक्तिया सु१. इतनी शक्ति हमें देना दाता की मन का विश्वास कमजोर हो ना,

२. नन्हा मुन्ना राही हूँ, देश का सिपाही हूँ बोलो मेरे संग, जय हिंद, जय हिंद, जय हिंद ... ( सभी उपस्थित मेहमानों ने हमारे साथ जय हिन्द का उद्घोष किया ),

३. प्रेम से बोलो जय माता दी, सारे बोलो जय माता दी, बोल सांचे दरबार की जय, बोल शेरावाली माँ की जय ( सभी माँ का जय जयकारा कर निहाल हो गए ),

४. लो अब पत्थर उठाओ, जमाने के खुदाओ, हुस्न हाज़िर है मोहब्बत की सजा पाने को, कोई पत्थार से ना मारे...

पत्नी की आंखों में शोले देख कर शोले पिक्चर के मशहूर डायलाग के चार शब्द भी सुनाये. बसंती इनके सामने मत नाचना. महफ़िल वाह वाह कर उठी. वन्स मोर की आवाज़ भी आई. आखीर में हमें कहना पड़ा की कमीने मैं तेरा खून पी जाऊँगा. निश्चित मानियें की हमारी आंखों में जरा सा भी भैंगा पन नहीं है. परन्तु कभी कभी कही पे निगाहें कही पे निशाना हो जाने की भूल तो हो ही सकती है.

और फिर डिनर परोसा गया. बच्चो के खाने के बाद हम पुरुषो की बारी आई.

हमें वरिष्ठतम मेहमान या असलियत में इकलौते बुड्ढे भैय्या जी की वजह से कुर्सी के आगे खाने की प्लेट रखने के लिए डाइनिंग टेबल की सुविधा भी प्रदान की गई.

हम एक के पति थे, ६ के मुहबोले बड़े भैय्या जी और एक के अंकल. सदी के महानायक तो चीनी कम होने के बाउजूद बुढढा होगा तेरा बाप ही कहना पसंद करते हैं. पर हमने परिस्तिथियो से समझौता कर लिया है. हमारी चीनी कम ज्यादा का तो हम बताना नहीं चाहते, पर बाल ९० प्रतिशत सफ़ेद होने की वजह से बुढ़ापे का एहसास था, और कोई अंकल कहता था तो बुरा लगते हुए भी बुरा नहीं मानते थे.

दो तीन महिलाएं खाना परोसने की ड्यूटी में थी. हमने अपनी प्लेट में काफी सारी पनीर की सब्जी डलवाई. पनीर की सब्जी पर किसी भी पार्टी में हमारा विशेष रुझान रहता है. ज्यादा से ज्यादा पनीर खाने से दिए गए व्यवहार की कुछ तो छतिपूर्ति हो जाती है. हम ऐसा मानते हैं की पनीर की सब्जी अच्छी ही बनी होगी. हम विशेष आग्रह पर थोड़ी सी गोभी की सब्जी भी ली.

फिर गृह स्वामिनी श्रीमती शीना जी नान लेकर आई. बड़े भैय्या जी के प्रति आदर दिखाते हुए प्लेट में नान रखी. गोरी नान. उसको देखते ही हमें दो चीज़ याद आई. पहली भाभी जी सीरियल की गोरी मैम और दूसरी ताज महल के पास हवेली रेस्टोरेन्ट की गोरी नान. एक बार हवेली रेस्टोरेन्ट जाना हुआ था. वहां के मेनू कार्ड में रोटी के बाद सबसे पहला आइटम गोरी नान है, जिसकी कीमत नान से ५ रुपया कम अंकित है. गोरे रंग के तो हम पुराने तलबगार रहे थे. हमने सब्जीयो के साथ गोरी नान ही मंगाई. पता चल गया की उसमें क्या खूबी थी. कम सिकी हुई या यू कहिये की कच्चे आटे की बाहर की परत सिकी हुई रोटी. तंदूरी भट्टी की आंच कम लगने की वजह से ही उसका रेट कम था.

गोरी नान या यूंं कहिये की कच्ची नान का पहला कौर गोभी की सब्जी के साथ खाया. नान की तारीफ तो हम पहले ही कर चुके हैं. अब गोभी की सब्जी की बारी थी. बचपन में हॉस्टल में डाइनिंग टेबल पर खाना खाते हुए हम सहपाठी गण कभी कभी एक गाना गाने लगते थे. मेरी भीगी भीगी सी पलकों पे ... अनामिका तरसे. इसका मतलब होता था फीकी फीकी सी सब्जी मसाले को तरसे. अत: गोभी की सब्जी पर थोडा नमक छिड़का.

एक नान खतम करने में युग बीतने लगा था. तभी रायते वाली एक मात्र भतीजी आरती जी मौका मुआइना करने आई. उनके चेहरे के हाव भाव या उनकी बॉडी लैनगवेज बता रही थी की वह हमारे रायता ना लेने से प्रसन्न है, क्योकि उन्हें मालूम था हम रायाता खाते कम हैं और फैलाते ज्यादा हैं, यानी की हम उसका भी सूक्ष्म विश्लेष्ण जरूर करते.

फिर उन्होंने अन्य पुरुषो की तरफ नज़र घुमाई. देखा की किसीकी प्लेट में रायता नहीं था. अब तो काटो तो खून नहीं. दरफियात करने पर पता चला की रायता तो सर्व हुआ ही नही. खाना परोसने में लगी महिलाओ को दो चार बात सुनाई. भाग कर किचन से रायते का डोंगा लाई और सब को भर भर के परोसा क्योकि उन्हें मालूम था की कल तक रायता खटटा हो जायेगा और अगर बच गया तो वापिस ले जाना पड़ेगा और पतिदेव कहेंगे की कढ़ी बनाओ, कौन दो घंटे तक कढ़ी चलाएगा.

हमने भी रायते के साथ पुलाव खाया. दोनों दिखने में ख़ूबसूरत लग रहे थे. मिला कर खाने में गले में ज्यादा नहीं अटक रहे थे.

दोपहर की कटी हुई सब्जीयो की चाऊमीन और सलाद की समीक्षा में हमें यही कहना है की अच्छे ही होंगे.

पनियल खीर पीने में अच्छी थी.

पुरानी नसीहत है की नेकी कर दरिया में डाल !

आज की नसीहत है की बुराई कर छत पे फ़ेंक. यानी बुरा मत कर, केवल व्यंग्य या कटाक्ष करो, खुद भी हँसो और दूसरो को भी हँसाओ. कोई दिल पे ले तो फौरन क्षमा मांग लो !

अत:श्र

बुड्ढे पति, भैय्या और अंकल जी...!


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Comedy