मेहंदी के रंग
मेहंदी के रंग
हम चार सहेलियों की आपस में खूब छनती थी। इंजीनियरिंग कालेज का आखिरी साल था। हमारे बिछुड़ने का समय क्रमशः नजदीक आ रहा था। हमलोग भरसक ये कोशिश में लगे रहते, कि मस्ती का कोई लम्हा छूट न जाए।
"सुनो संगीता, आज तुम लोगों के साथ मैं न आ पाऊँगी। समीर के साथ मेरी आइसक्रीम पार्टी है," जुही ने मुस्कुराते हुए कहा।
"तू हम अनाथों को छोड़ अकेले जाएगी?" सोनल ने जोर से चिल्लाकर कहा!
"ठीक है, फिर हमलोग साथ ही आइसक्रीम खाने जाएँगेl" जुही कुछ बुझे मन से बोली।
"सोनल! तुम इसके साथ शादी के बाद ससुराल भी चली जाना!" मैंने कुछ मसखरी करते हुए सोनल से कहाl
शाम को समीर की आइसक्रीम पार्टी में हम सब सहेलियाँ शामिल हुई थी।
समीर कालेज का सबसे 'होनहार बैचलर' था, पढ़ने में तेज, बाँका छैल-छबीला, बड़े बाप का बेटा, बेहद मजाकिया...मतलब लड़कियों को आकर्षित करने का हर तीर उसके पास था। उसके दोस्तों की लम्बी लिस्ट में लड़कियाँ भरी पड़ी थी।
मैंने दो एक बार जुही को चेताया भी था! तू इसके चक्कर में मत पड़ मगर जुही को मेरी बातें न तो सुननी थी, और न ही उसने सुनी। उल्टा मुझे ताना मारते हुए कहा, "तू मुझसे जल तो नहीं रही है? तू ठहरी किताबी कीड़ा, किताबों में ही अपना ज्ञान शेयर करl"
मैंने चुप्पी साध ली।
वैसे उस दिन की आइसक्रीम पार्टी में हमलोगों ने खूब मजा किया था। हमने छक कर तरह-तरह की आइसक्रीम खायी थी।
जुही ने एक खूबसूरत-सा अनारकली सूट पहन रखा था, जिसमें वह बला की खूबसूरत लग रही थी। सोनल वेस्टन लिबास में गजब ढा रही थी।
सोनल, जुही सब विभिन्न पोज देकर सेल्फी लेने में व्यस्त थे। मैं कुछ दूर खड़ी उन्हें निहारते हुए आइसक्रीम चाट रही थी।
"संगीता! प्लीज, इधरआऽऽऽ; एक सेल्फी तो लेती जा!" जुही बोली। मैं मुस्कुराती हुई उनके बीच चली गई।
परीक्षा समाप्त होते ही जुही ने खुशखबरी सुनाई, "संगीता! मैं समीर के साथ शादी कर रही हूँ।"
"सचमुच? बधाई हो!" मगर मुझे ज्यादा आश्चर्य नहीं हुआ क्योंकि मैं उनकी नजदीकियों से वाकिफ थी।
छह महीने बाद शादी थी। हमलोगों ने सभी खरीदारियाँ साथ-साथ की। शादी की हर रीति-रिवाजों में शामिल हुए। शादी के दिन हम सबने एक ही डिजाइन की मेहंदी भी लगाई थी। शाम को बारात में जी भर के सबने डांस किया। शादी बहुत धूमधाम से सम्पन्न हो गई। सुबह विदाई की तैयारी होने लगी। मगर जुही के कमरे का दरवाजा बंद था! दरवाजा पीटा गया, अंदर से कोई आवाज न आईl सब लोग जमा हो गये, दरवाजा तोड़ा गया...अंदर बिस्तर पर अचेत जुही पड़ी थी। मैं भी दौड़ते हुए कमरे में गई, देखा दुल्हन के साजो पोशाक में जुही बिल्कुल राजकुमारी की तरह बिस्तर पर पड़ी थी, गले के पास कुछ खून पड़ा था। किसी ने जुही का "मर्डर" कर दिया था। आगे मेरी सोचने की शक्ति चली गई।
पुलिस आयी, शव को पोस्टमार्टम के लिए ले जाया गया। सबसे पूछताछ कर पुलिस चली गईं। शाम को जुही की "विदाई" श्मशान के लिए हुई।
हम सबका रो-रो कर बुरा हाल था। जुही की माँ और सोनल बार-बार बेहोश हो रही थी। सब समीर को पनौती समझ रहे थे, जितनी मुँह उतनी बातें। मैं भी समीर को कोस रही थी, हो न हो उसी ने ये सब किया होl समीर का एक कमीज खून से सना हुआ जुही के कमरे में पाया गया था।
पुलिस समीर को चौदह दिनों के न्यायिक हिरासत में ले गई थी, रिपोर्ट में गला घोंटकर हत्या की पुष्टि हुई थी। गले के पास कुछ हल्के लाल निशान भी पाये गये थे। गहन पूछताछ से भी कोई नतीजा नहीं निकला था।
एक महीना बीत गया। मुझे एक कम्पनी से जाॅब आफर आ चुका थाl मुझसे मिलने सोनल आई थी। बातों ही बातों में अपनी मोबाइल से मुझे शादी के अनेक फोटो दिखाने लगी। अचानक मेरी नजर उस फोटो पर पड़ी जिसमें सोनल रात को फिर मेहंदी लगा रही थी।
अचानक उस रात की एक घटना मेरे जेहन में घूमने लगी। शादी के बाद, जब मैं सोने जा रही थी, मैंने सोचा बाथरूम में जाकर थोड़ी ताजा हो लूँ, तभी बाथरूम में हाथ धोती हुई सोनल मुझसे टकराई थी, हड़बड़ाकर बोली, "देखो न! डांस करने में मेरी मेहंदी खराब हो गयी है, कहकर दोनों हाथ मेरे सामने पसार दिये। ऐसा लग रहा था कि जैसे दोनों हाथों को मसला गया है, मैं कुछ बोलती तब तक वह जा चुकी थी।
पुलिस ने कहा था, जुही के गले में दाग था। मुझे समझ आ गया वह दाग "मेहंदी" के ही थे!
पुलिस स्टेशन में सोनल ने अपना जुर्म कबूल कर लिया था। वह समीर से शादी करना चाहती थी। उसने जुही की नाक से बहे हुए खून को समीर के कमीज से पोंछ डाला था। मेहंदी ने अपना रंग दिखा दिया था।
समीर छूट गया, और मैंने उससे माफी माँग ली थी।