भूचाल
भूचाल
अरे यार, बहुत थक गई आज तो । जल संरक्षण पर पहले स्कूल में कार्यक्रम, फिर पास के गाँव में पूरे चार घंटे लग गये, दिमाग का दही हो गया कहते हुए जानकी सोफे पर पसर गई।
" लो पानी पीओ " कहते हुए सोमेश ने जानकी को पानी का ग्लास पकङाया ।
" अरे थैक्स यार,जल है तो जीवन है।वाकई प्यास के मारे गला सूख रहा था " कहते हुए जानकी ने लम्बी निःश्वास छो ड़ी।
" बिल्कुल सही " सोमेश ने हाँ में हाँ मिलाई।
" ये सेमिनार, लेक्चर कोई बच्चों का खेल नहीं....ब ड़ा थका देता है " अंग ड़ाई लेते हुए जानकी ने अपनी बात रखी।
अच्छा....., तुम्हें क्या लगता है सेमिनार, लेक्चर, नारों से कितना बदलाव आता होगा सोमेश ने पूछा।
अरे यार, बदलाव आता है या नहीं मुझे क्या फर्क प ड़ता है ...।बस मैं बस अपने कार्यक्रम से मतलब रखती हूँ।लेक्चर, नारे, पोस्टर, सेमिनार ही तो हमारे कार्यक्रम में जान फूंकते हैं।मेरे लिए बस अपनी संस्था का प्रोफाइल मैटर करता है कहते हुए जानकी ख ड़ी हो गई।
पर मुझे फर्क प ड़ता है जानकी.... आज जलस्तर जिस तरह से नीचे जा रहा है, कुंए, तालाब, नदियां सूख रही है अभी से उपाय न किये तो हमारी आने वाली पीढी तो प्यासी मर जाएगी जानकी सोमेश ने कहा।
" तुम कब से लेक्चर देने लगे..." ?
" मैं लेक्चर नहीं दे रहा ।आज मैनें हमारे घर के सभी नलों में ऐसा एक इंस्टूमेंट लगा दिया जिससे पानी की स्पीड काफी धीरे हो गई ....इस तरह हम पानी की बहुत बचत कर पाएंगे। क्यों सही किया ना...कहते हुए सोमेश ने जानकी को देखा।
तुम भी ना....अजीब आदमी हो जानकी अनमने मन से बोली ।
" तुम्हें अच्छा लगे या बुरा मैं कथनी- करनी की समानता में विश्वास करता हूँ " सोमेश ने संतुष्टि भाव से कहा।
" भा ड़ में जाए तुम्हारी कथनी- करनी की समानता " जानकी गुस्से से ब ड़ब ड़ाई।
" अब तुम लेक्चर देती जाओ प्रेक्टिकल की जिम्मेदारी मेरी " कहते हुए सोमेश तीर की तरह घर से बाहर निकल गया ।
जानकी सर पक ड़कर बैठी गई। लग रहा था भूचाल आ गया।