महिला दिवस
महिला दिवस
महिलाओं को सम्मान और स्वतंत्रता देने की बात
आज हर कोई कर रहा है।
पर उस महिला का क्या
जो अपने फर्ज़ निभाते - निभाते थक चुकी है ?
आज वह खुद निर्यातित है।
अफसोस इस बात का है
ककि उस पे हुक्म चलाने वाली भी
एक महिला ही है।
और वह कोई और नहीं ,
बस उसी की पुत्रवधू ही है
और यह निर्यातित तो बस एक माँ है...।
[ एक महिला - दिवस उस माँ के लिए भी...। ]