ये कैसा प्यार भाग-७
ये कैसा प्यार भाग-७
विजय- "..हाँ यार.?? ....ये तो हम पर ही बरस पड़ी थी...ओ यार सोनू हमारा दोस्त है हमें उतना गुस्सा नही आया जितना वो कर रही थी...क्या है यार ? "
राज- "बड़ी डेंजर लड़की है यार...पता नी इसे सोनू से दोस्ती कैसे हो गयी...जमीन और आसमान की दोस्ती....और दोस्ती ऐसी कि कितना अपनापन जता रही है सोनू से..... "
विजय- "हां यार...अंजलि सोनु को अपना शायद सबसे खास दोस्त मानती है..... "
राज- "...छोड़ यार...कल जो होगा..हम भी देखेंगे ....मजा आऐगा... "
( फिर दोनों क्लास में चले जाते हैं.....आपको भी तो नही पढ़ना....अरे सामने से वही लड़की जिससे राज टकराया था...लड़की उसके सामने से निकल जाती है...राज फिर उसे देखता रह जाता है....उसमें खो जाता है...)
"....ओ....ओ भाई कहाँ खो गया....? "
"...अं...हाँ...स....सॉरी कहना था यार...... "
"..सॉरी....? .....ओये ये सॉरी....क...किसे...? ....च.....तू भी यार..! "
"...व...वो...वही लड़की.....यार सॉरी कहना था..... "
विजय-( समझकर...)..... "अच्छा बेटे वही ना....जिससे उस समय टकराया था....उसे अब सॉरी कहेगा...? पगला गया क्या...? ...पिटेगा....! "
"...हाँ वही यार... "
"....तुझे क्या हो गया तूने उस समय कह दिया था उसने नही सुना तो कोई नी....बात खत्म...! "
"...प...प...परररर....यार...? "
"...( उसे खींचते हुऐ).....पागलों की तरह पर पर ना कर...वो देख सर....! ....सर...आ गऐ.... "
( राज सहम जाता है....पर फिर उसी लड़की के ख्यालों में खो जाता है)
[ तो अब क्लास शुरू हो चुकी है...और आप तो क्लास में नही बैठना चाहेंगे....कहानी को यहीं पे थोड़ा विराम देते हैं]
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(राज के घर का नजारा है राज अपने रीडिंग रूम में लैम्प के आगे एक कोने पर अपनी चेयर पर बैठा है...उसके सामने वाली दीवार पर अमीषा पटेल का चित्र है...राज गणित का कोई सवाल कर रहा है...वह अटक जाता है...कई कोशिशों के बावजूद जब वह कर नही पाता तो अमीषा के चित्र को देखने लगता है और उसकी आँखों में खो जाता है....और उसके मुंह से कुछ बोल निकलते हैं)
"...ये सवाल है कि क्या है....ये सवाल है कि क्या है....
जो मुझसे हल नही निकलता....
ये हाल हैं जो बेहाल हैं...ये हाल हैं जो बेहाल हैं......
उस चेहरे से...उस चेहरे से जो हर हर महफिल में नही मिलता.. "
( खुद चौंक पड़ता है)... "अरे ये मैं क्या कह गया....( फिर उसी चित्र को देखकर) ...
((वो देखता है कि तस्वीर से वही लड़की निकलकर उस की तरफ आती है..उसका हाथ पकड़कर उसे कुर्सी से उठा ले जाती है..कमरे में रखा डैक खुद ब खुद चलने लगता ह
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गीत ——तेरी आँखों में मुझे प्यार नजर आता हैsssss......तु ही मासूम दिलदार नजर आता हैssss.......
इस धुन पर दोंनों थिरकने लगते हैं.....अचानक कोई लम्बे बालों वाला कोई लम्बा चौड़ा आदमी उनके बीच आ जाता है...और राज से उस लड़की को दूर ले जाने की कोशीश कर रहा है..राज उसे धकेलना चाह रहा है...फिर वो आदमी उसे घूरता है....फिर एक जोरदार तमाचे की आवाज होती है.....तड़ाssssssssssssक.....! ))
(राज ख्वाब से जग जाता है..वह देखता है कि वह बीच रूम में खड़ा है...उसने हाथ में झाड़ू पकड़ा हुआ है...उसे महसूस हो रहा है कि उसे तमाचा रियल में पड़ा है...और सामने है विजय)
"सॉरी यार....यही रास्ता था तुझे होश में लाने का....अबे ये झाड़ू के साथ कौन सा आईटम डांन्स चल रहा था...कबसे आगे खड़ा हूँ...देखता ही नही...झाड़ू छुड़ाता हूँ तो धक्का देता है....अबे क्या हो गया तुझे ? ...हैंssssssss.... "
".......( विजय को देखकर)...विजय तू कब आया..? "
".....हैं....अबे तेरे होश में आने से पाँच मिनट पहले...एक और दूँगा साले के....और ये झाड़ू...इसे तो छोड़...नाच ले और झाड़ू पकड़ के...मैं कब आया तुझे पता ही नी..... "