बेस्ट फ्रेंड
बेस्ट फ्रेंड
घर में घुसते ही मानवी ने अपना बैग लिविंग रूम में फेंक दिया और अपने बेडरूम में जाकर दरवाजा बंद कर लिया। आज कल गुप्ता जी के घर में यह नज़ारा आम सा हो गया है। मानवी के पिताजी की नौकरी में तबादला आये दिन होता रहता है, इसलिए बच्चों को भी स्कूल बदलने पढ़ते हैं। "क्या हुआ बेटा ? स्कूल में किसी ने कुछ कहा ?" मम्मी ने उसके रूम को खटखटाते हुए पूछा। "कोई क्या कहेगा मम्मी, कुछ कहने के लिए फ्रेंड भी तो होने चाहिए।" मानवी की रुआसी आवाज़ उस ओर से आई। कुछ ही देर में मानवी कब सो गयी उसे पता ही नहीं चला। जब शाम को नींद खुली तो उसका ध्यान तुरंत ही किचन से आ रही खुश्बू पर गया। "ओहो, लगता है आज तो मम्मी ने आलू के पराठे बनाये हैं। " उसने मन ही मन सोचा। रूम से बाहर निकलते ही वो मुँह धोने के लिए बाथरूम की तरफ़ गयीं तो उसने देखा की आज पापा भी जल्दी आ गये हैं। रोज़ की तरह वो पापा से मिलने के लिए भागी पर फिर उसके कदम थम से गए जब उसे याद आया कि वो तो गुस्सा है मम्मी पापा से। पर भूख कहा गुस्से से शांत होतीं हैं, आखिर में उसे अपने गुस्से को भुला कर डिनर के लिए जाना ही पड़ा। भला आलू के पराठों को कोई मना कर पाया है आज तक ? पापा ने खाना खत्म होते ही कहा, "मानवी बेटा मेरे साथ चलो, तुम्हारे लिए कुछ तोहफ़ा लाया हूँ।" पापा अपने दफ्तर के बैग से एक किताब निकाल कर दी, "बेटा आज आफ़िस में बहुत काम था तो इसे पैक नहीं कर पाया।" इतना सुनते ही मानवी की आँखो में मोती से आँसू आ गये और झट से उसने पापा को गले लगा लिया, "थैंक यू पापा, यू आर माइ बेस्ट फ्रेंड।" आज मानवी ने जाना की सच्ची दोस्ती तो यही है - एक तो उसके मम्मी पापा जो हमेशा साथ देते हैं और एक उसकी किताबें जो उसे रोज़ नयी जगहों की सैर पर ले जाती हैं। अरे आप तो अभी भी यही पढ़ रहे हैं, जाइए और अपने दोस्तों के साथ वक़्त बिताईये।