Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

दिशा भ्रम

दिशा भ्रम

3 mins
2.9K


अपनी कक्षा में सदैव अव्वल आने वाला, कुशाग्र बुद्धि का धनी, सौम्य-शिष्ट-संस्कारी, बेहद प्यारा बच्चा था रोहन।

चौदह साल का होते न होते पता नहीं क्या हुआ कि उसे चरस और सिगरेट की लत गई। घर से घंटों गायब रहने लगा। माँ-बाप की बातों पर ध्यान न देता। सबसे मुँह चुराने लगा था। ठीक से खाना भी न खाता और घर पर किसी से बात न करता। पढ़ाई से उसका मन उचाट हो गया था।

परेशान घर वालों ने जब स्कूल में जिक्र किया तो एक दिन रोहन की एक टीचर, जिनसे रोहन को विशेष लगाव था, ने रोहन को अपने कक्ष में बुलाया और एक कहानी सुनाई जो इस प्रकार थी-

“एक पक्षी था। जिसके पंख बहुत-बहुत सुन्दर थे। घने और लम्बे। नाज़ था उसे अपने पंखों पर। लम्बी और ऊँची उड़ान में उसके समक्ष कोई भी पक्षी टिक नहीं पाता था। खुले आकाश में जब वह उड़ान भरता तो मानो क्षितिज के साथ उसके पंखों की होड़ा-होड़ी होती।

वह ऊँचा और ऊँचा उड़ता ही जाता पर कभी भी उसके पंख थकते न थे। उसके सभी साथी कभी उसकी प्रशंसा करते तो कभी-कभी उन्हें ईर्ष्या भी होती। उस सुन्दर घने पंख वाले पक्षी की एक कमज़ोरी भी थी। उसे दीमक खाने का बड़ा शौक था और दीमक खाने के लिए वह आकाश से धरती के न मालूम कितने चक्कर लगाता फिर भी पेट भर दीमक न ख़ोज पाता। एक दिन उसने ठेले पर बोरी भर दीमक बेचते हुए एक आदमी को देखा। वह आदमी चिल्ला-चिल्ला कर कह रहा था, “एक पंख दो पेट भर दीमक लो।” पक्षी को मानो खजाना मिल गया। उसने सोचा, मेरे पंख इतने घने हैं, कुछ पंख कम भी हो गए तो कुछ न बिगड़ेगा। वह हर दिन एक पंख देता और पेट भर दीमक खाता।

पर यह क्या...उसकी उड़ान पहले जैसी ऊँची न रही और वह शीघ्र ही थक भी जाता, परन्तु दीमक खाने का शौक इतना प्रबल था कि वह अपने माँ-बाप और बंधु-बांधव की सीख पर भी ध्यान न दे पाता। धीरे-धीरे वह इतना शिथिल हो गया कि उड़ना भी मुश्किल हो गया। वह किसी तरह रेंग कर अपना खाना तलाश करता। पंखों के न रहने पर दीमक वाले आदमी ने उसे दीमक देने से भी इनकार कर दिया। उड़ने में असमर्थ उस पक्षी को एक बड़े जानवर ने अपना भोजन बना लिया।”

कहानी सुनाने के दौरान टीचर रोहन के चहरे पर आते-जाते भावों का सूक्षमता से अध्ययन कर रही थी। रोहन भाव-विभोर हो कहानी सुन रहा था। कहानी ख़त्म होते ही वह टीचर के आँचल में मुँह छुपा कर रोने लगा और कहने लगा मुझे बचा लीजिये...मेरे दोस्तों से मुझे बचा लीजिये...मैं मरना नहीं चाहता।

टीचर ने उसके सिर पर सांत्वना का हाथ फेरा और कहा, “तुम दिशाहीन हो गए थे...सब ठीक हो जायेगा।


Rate this content
Log in

More hindi story from Sudha Goel

Similar hindi story from Inspirational