डेथ वारंट भाग 1
डेथ वारंट भाग 1
12 बजे दोपहर को खबर मिली कि बेहराम पाड़ा की झोपड़पट्टी में आगजनी हो गई है। जानमाल के नुकसान का आकलन अभी नहीं हुआ था। पुलिस अधिकारी सालुंखे फौरन अपने सहकर्मियों गजानन और तिवारी के साथ वहाँ के लिए रवाना हुआ। मुम्बई के बांद्रा इलाके के बेहराम पाड़ा इलाके में अधिकांश मुस्लिम समाज के लोग रहते थे और मेहनतकश थे। छोटे मोटे काम करके जीविका कमाने वाला यह तबका गरीबी के बोझ तले दबा हुआ था लेकिन मुम्बई के प्रसिद्ध जीवट का अच्छा मुजाहिरा पेश करता था। रोज कुंआ खोद कर पानी पीना यहाँ के लोगों की नियति थी। इसी इलाके में कुछ सामाजिक बुराइयाँ भी पनाह लिए हुए थी। देशी शराब के अवैध ठेके,जेबकतरे और झपटमार यहाँ प्रचुर मात्रा में मिलते थे। नशे के लती और व्यापारी भी बड़ी मात्रा में यहाँ पाए जाते थे। मादक पदार्थों का व्यापार यहाँ धड़ल्ले से होता। रेलवे विभाग के साजो सामान की बड़े मात्रा में चोरी और तस्करी यहाँ की जाती थी। छोटे बच्चों का अपहरण करके उन्हें अवैध धंधों और भीख मांगने के काम में भी लगाया जाता था। वेश्यावृत्ति के कई मशहूर अड्डे यहाँ पाए जाते थे। नेपाल और उत्तरपूर्व से बहला फुसला कर लाई गई अनेक लड़कियां यहाँ वेश्यावृत्ति के धंधे में धकेल दी जाती थीं और फिर उन्हें आजीवन आजादी नहीं मिल पाती थी।
अनेक धंधों के अलग अलग मसीहा थे। मुल्ला कानिया बच्चों के अपहरण और भीख के धंधे का उस्ताद समझा जाता था। उसके चेले चपाटे दूर दूर से बच्चों का अगवा कर लाते और उन्हें मार पीट कर या अपंग बनाकर भीख के धंधे में उतारा जाता। इरफान जेबकतरों का मसीहा था । लोग कहते थे कि इरफान के शागिर्द आंख से सुरमा चुरा लेने में माहिर थे। लोकल ट्रेनों में इरफान के चेले इतनी सफाई से पॉकिट मारते कि किसी को कानोकान खबर भी न होती थी। इरफान किसी जमाने में खुद बहुत बड़ा जेबकतरा था लेकिन अब वह सिर्फ किसी विशेषज्ञ की तरह केवल अपने चेलों को यह कला सिखाता।सरफराज शेख और राजू पंजाबी वेश्यावृत्ति करवाते थे।
चेन्नई की कलम्मा आंटी शराब के अड्डे चलाती थी। वह दोहरे बदन की बेहद खतरनाक महिला थी। उससे उलझने की हिम्मत कोई नहीं कर पाता था। उसने इलाके के कई पुरुष गुंडों को कई बार आमने सामने दो दो हाथ करने की चुनौती दी थी लेकिन कोई उससे भिड़ने की हिम्मत नहीं कर पाया था। गोरेगांव के विख्यात आरे कॉलोनी जंगल में उसकी कई देशी शराब की भट्ठियां थीं जिनमें देशी शराब खींची जाती और कलम्मा अपने ठेकों पर उन्हें बेचती थी यह बात सभी जानते थे पर कोई कुछ नहीं कर पाता था। पुलिस का हफ्ता बंधा हुआ था। बंगाल का मोइन चोरों का शहंशाह था। उसकी बादशाहत रेलवे स्टेशनों और पटरियों पर चलती। रेलवे का लोहा और कीमती सामान चुराकर बेचना उसका धंधा था। इन सबके अलावा अनेक छोटे मोटे आपराधिक काम यहाँ होते थे।और असंख्य अपराधी यहाँ थे लेकिन इन सबके ऊपर एक अदृश्य अपराधी था जिसकी टांग सभी धंधों में फंसी हुई थी और जिसे सारा बेहराम पाड़ा बॉस के नाम से जानता था। हर छोटे बड़े आम और खास में बॉस के नाम की दहशत थी। बॉस का हुक्म पत्थर की लकीर था। बॉस की मर्जी ही वहाँ का कानून था लेकिन न किसी ने बॉस को देखा था और न ही कोई बॉस का असली नाम जानता था।
कहानी अभी जारी है.......