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पराई

पराई

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प्रभा ऑफिस से लौटी तो देखा कि मम्मी कुक से पकौड़ियां बनवाकर खा रही थीं। 

आज सुबह ही वह डॉक्टर को दिखाने के बाद ऑफिस गई थी। मेडिकल रिपोर्ट देख कर डॉक्टर ने सख्त हिदायत दी थी कि तला भुना, मीठा सब बिल्कुल बंद। समय पर दवाइयां लेना बहुत आवश्यक है। 

ऑफिस जाने से पहले वह दोपहर को खाने की दवाइयां निकाल कर रख गई थी। प्रभा ने देखा कि दवाएं वैसे ही रखी हैं।

"क्या बात है मम्मी ? आप समझती क्यों नहीं हैं ? सुबह डॉक्टर ने कहा था कि तला भुना, मीठा सब बंद। दवाएं समय पर लेनी हैं। पर ना तो आपने दोपहर को दवाई खाई। ना ही किसी तरह का परहेज़ है।"

उसकी मम्मी को बात बुरी लगी। उन्होंने तश्तरी पटकते हुए कहा।

"अब खाने पर भी नज़र लगाने लगी हो। जितने दिन बचे हैं, वह भी मन मारकर काटने पड़ेंगे?"

वह उठ कर अपने कमरे में चली गईं। प्रभा जानती थी कि अभी उन्हें कुछ कहने का कोई मतलब नहीं है। वह बस अपनी कहेंगी। वह कुक के पास गई।

"तुम्हें सुबह समझाया था कि अब घर में सिर्फ सादा खाना बनेगा।"

कुक ने अपनी मजबूरी बताई।

"क्या करें दीदी, कुछ समझाओ तो माताजी कहती हैं कि नौकरानी होकर सर पर चढ़ रही हूँ।"

"तुम बस चुपचाप सादी सब्जी रोटी बना कर चली जाया करो।"

प्रभा को अपनी माँ की फ़िक्र रहती थी। पापा भी इसी तरह लापरवाही करते असमय चले गए थे। बड़ी होने के नाते परिवार की ज़िम्मेदारी उसने उठा ली। जब तक ज़िम्मेदारियां पूरी होतीं उम्र हो गई। छोटे भाई की शादी हो गई पर अपनी गृहस्थी बसाने का मन नहीं किया।

वह नहीं चाहती थी कि मम्मी लापरवाही करें और उन्हें कष्ट भोगना पड़े। पर उसकी मम्मी उसके टोंकने पर इसी तरह नाराज़ हो जाती थीं।

कुछ देर में जब दिमाग शांत हुआ तो उसे लगा कि उसे मम्मी को ऐसे डांटना नहीं चाहिए था। बच्चे और बूढ़े एक जैसे होते हैं। उन्हें समझाना पड़ता है।

वह अपनी ‌मम्मी को समझने के लिए उनके कमरे में गई। पर दरवाज़े पर ही ठिठक गई। मम्मी छोटे भाई से बात कर रही थीं।

"दिनेश बेटा, माँ का सहारा तो बेटा ही होता है। कब तक बेटी के घर पड़ी रहूँगी। वैसे भी प्रभा को मेरी हर बात खराब लगती है।"

प्रभा को बहुत बुरा लगा। पापा के जाने के बाद से ही मम्मी उसके साथ थीं। कितनी बार दिनेश के पास जाने की इच्छा जताई पर वह ले नहीं गया।

मम्मी के फोन रखने के बाद वह कमरे में घुसी।

"दिनेश कब आ रहा है लेने ? बता दीजिएगा। आजकल ‌पहले से टिकट बुक कराना अच्छा रहता है।"

कहकर प्रभा कमरे से निकल गई।


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