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Manju Saraf

Drama

1.3  

Manju Saraf

Drama

नई सुबह

नई सुबह

3 mins
660


अदिति अपनी स्कूल के हँसते मुस्कुराते बच्चों को देख आज बहुत खुश है, आज बरसो बाद उसके चेहरे पर भी मुस्कान खुलकर छलकी है।

आज बरसो बाद वह खुली हवा में उन्मुक्त साँसें ले रही है उसकी आँखों के आगे अतीत के पन्ने फड़फड़ाने लगे,जब उसके माता पिता ने उसका ब्याह राकेश से तय कर दिया,कहीं कोई कमी भी तो नज़र नही आई उस वक्त, शादी के पांच महीने तो पंख लगाकर उड़ गए, पर एक एक्सीडेंट में राकेश की मौत हो गई, अचानक आये इस तूफान ने उसकी जिंदगी को बुरी तरह से तहस नहस कर डाला, परिवार व समाज के लोगो की प्रताड़ना के बीच उसके जीवन के दिन और रात स्याह हो गए थे।

उसे हर पल इस लगता था कि उसकी दिमाग की नसें फट जाएंगी और वह पागल हो जाएगी।

पर ऐसे में उसका साथ दिया उसकी अपनी सास माँ ने, उन्होंने एक बहुत महत्वपूर्ण निर्णय लिया।

आज सबको उन्होंने अपने घर के आंगन में इकठ्ठा किया है, सभी आश्चर्य चकित हैं माँ ने सबको यहाँ क्यो इकट्ठा किया है।

"आप सब को पता है मैने सबको यहाँ क्यो बुलाया है "

सासु माँ बोली।

"क्यो " यह राकेश के बड़े भाई का स्वर था।मैने आज सबको यह बताने बुलाया है कि मैंने अपनी एक मित्र के स्कूल में अदिति की जॉब लगवा दी है,कल से वह स्कूल जाएगी पढ़ाने।

"पर माँ घर के काम " यह अदिति की जेठानी मीता का स्वर था।"

क्यों,क्या वह घर की बाई है, आप सब अपने काम खुद करो और खबरदार आज के बाद यदि किसी ने अदिति के खिलाफ कुछ भी कहा। आज से वह इस घर की बेटी है, अब हमें उसे सहारा देना है ताकि वह अपने सारे दुख भूल सामान्य ज़िन्दगी जी सके।"

अदिति के ससुर भी इस फैसले से खुश थे,कम से कम अब अदिति अपना दुख तो भूल सकेगी।

अगली सुबह अदिति तैयार थी स्कूल जाने, माँ तैयार होकर आई,कहा - "चलो आज मैं तुम्हे ड्राप कर देती हूँ,कल से तुम अपना सहारा खुद बनो, किसी का रास्ता नही देखना है तुम्हे, एक नई सुबह तुम्हे बुला रही है, अब बीते हुए को भूलो, और स्वागत करो फिर से खुशियों का,जाने वाला लौट कर नही आता, इसीलिए अब से बैठकर सिर्फ रोते मत रहो, आगे बढ़ो ज़िन्दगी तुम्हे बुला रही है"

अदिति अपनी सास माँ का चेहरा देखती है, जहाँ सिर्फ ममता नज़र आ रही है,उन्होंने भी अपना बेटा खोया है पर आज वे स्वयम उसे एक नई राह दिखा रही हैं।

अब उसे भी सब भूला कर आगे बढ़ना ही होगा,स्वयम अपना और राकेश के माँ,बाबू जी का भी दुख कम करने उसने झुककर माँ के पैर छुवे और उनके गले लग गई "एक नई सुबह तेरा इन्तजार कर रही है बेटे,आगे बढ़ और अपनी खुशियों को गले लगा ले। " माँ की आवाज किसी स्वर लहरी की तरह उसके कानों में गूंज रहे थे।


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