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दो बहनें

दो बहनें

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रामपूर नाम का एक गाँव था। उस गाँव में एक सानिका नाम की लड़की अपने परिवार के साथ रहती थी। उसके परिवार में उसकी माँ, पिता और बहन थी। उसके पिता रामपूर के एक दफ्तर में नौकरी करते थे। हर महीने की तरह इस महिने भी उन्हे तनखाह मिली थी। सानिका के पिताजी दफ्तर से घर लौट रहे थे। उनके घर का रास्ता बाजार से होकर जाता था। जब सानिका के पिताजी बाजार से गुज़र रहे थे, तब उनकी नजर एक मेज़ पर पड़ी। उनको वह मेज़ पसंद आ गई। उन्होने वह मेज़ ख़रीद ली। वह वो मेज़ घर पर ले आए। उस मेज़ को लेकर सानिका और उसकी बहन वनिता का झगड़ा हो गया कि मेज़ पर हक़ उन्ही का है। इस झगड़े के बाद वनिता वहाँ से निकल गई। सानिका की माँ ने उसे समझाया,"वह तेरी बड़ी बहन है। वह हर काम में तेरी मदद करती है। उसने तुम्हारे लिए बहुत सी चीजों का त्याग किया है। वह तुमसे बहुत प्रेम करती है। वह तुम्हारी पढ़ाई में मदद करती है।तुम्हें उसके साथ इस तरह का व्यवहार या झगड़ा नहीं करना चाहिए।" सानिका ने उसकी एक न सुनी और वहाँ से चली गई। जाकर घर के पीछेवाले पेड़ के नीचे बैठ गई। वहाँ उसे अपनी ग़लती का एहसास हो गया। वह वनिता के कमरे के पास चली गई। उसने दरवाज़े से वनिता को देखा। वह रो रही थी। सानिका उसके पास गई। उसने उससे माफ़ी माँगी। वनिता ने भी उसे माफ़ कर दिया। वनिता ने सानिका को खुशी खुशी गले लगाया।


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