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केवल महिलाओं ने बदली तस्वीर

केवल महिलाओं ने बदली तस्वीर

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आइये आपको मैं ऐसी जानकारी से अवगत कराना आवश्यक समझती हूं, क्योंकि जिसे जानकर आप भी आश्चर्यचकित होकर सोचने पर मजबूर होंगे कि पूर्व में जिस देश में महिलाओं के बाहर निकलने पर भी पाबंदी लगाई जाती थी, आज वही महिलाओं ने विकास के मार्ग पर कदम बढ़ाते हुए आर्थिक रूप से संपन्नता के मामले में आदर्श गांव के रूप में बन रही पहचान बनाने में सफलता हासिल की है।

एक साल पहले तक बुदनी ब्लाक में आने वाले छोटे से गांव ग्वाडिय़ा का लगभग हर परिवार कर्ज में डूबा हुआ था। गांव का हर परिवार प्राइवेट कंपनियों से ऋण के दलदल में फंसा हुआ था। उनके पास ऋण लेकर आजीविका चलाने के सिवाय कोई भी दूसरा बड़ा साधन उपलब्ध नहीं हो पा रहा था।

आजीविका मिशन एवं टीम के प्रयास से इस ग्राम की महिलाओं ने मिलकर गांव की तस्वीर ही बदलकर रख दी है। वर्तमान में गांव की महिलाएं ग्राम संगठन के नाम से दस लाख रुपए से अधिक का लेनदेन कर रही हैं और गांव आर्थिक संपन्नता के मामले में आदर्श गांव कहलाने लगा है।

एक साल पहले तक बुदनी के जवाहरखेड़ा ग्राम पंचायत के छोटे से गांव ग्वाडिय़ा में अधिकांश परिवारों को प्राइवेट कंपनियों से बहुत अधिक ब्याज दर पर ऋण राशि लेनी पड़ती थी एवं उसकी किश्त 7 दिवस या 15 दिवस में जमा करनी होती थी। यदि किसी हफ्ते किश्त की राशि उपलब्ध नहीं हो पाती थी तो फिर से किसी दूसरे से ऋण लेकर किश्त आवश्यक रूप से जमा करना पड़ती थी। इस कारण ग्राम की हर महिला पर ब्याज की दोहरी मार पड़ती थी। अधिक ब्याज दर एवं साप्ताहिक किश्तों के कारण ग्रामीण महिलाओं में दहशत या फिर किसी न किसी रूप में डर का माहौल बना रहता था, साथ ही साथ गांव का आर्थिक विकास भी दिन-प्रतिदिन कमजोर हो रहा था।

फिर एक दिन गांव में जन-जागृति लाने के माध्यम से राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की टीम ने ग्राम ग्वाडिय़ा का भ्रमण किया एवं ग्रामीण महिलाओं को स्व-सहायता समूह के महत्व एवं समूह से जुडऩे के लिए प्रेरित किया। उन महिलाओं को समूह से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारियां दी गई। इसके साथ 4 स्व-सहायता समूहों को 4 लाख रूपए का ऋण स्वीकृत कर वितरित किया गया। बैंक ऑफ इंडिया शाखा शाहगंज के इस प्रयास से महिलाओं में ओर अधिक जोश भर दिया।

जो अनुसूचित जाति बाहुल्य करीब चार सौ आबादी वाला छोटा गांव करीब एक साल पहले तक कर्ज में डूबा था, गांव की महिलाओं के अथक प्रयास से वर्तमान में वही गांव दस लाख रुपए से अधिक का लेनदेन कर रहा है। आजीविका मिशन ने इन समूहों को बैंक तक पहुंचाया।

इस समय गांव में 63 स्व-सहायता समूहों की महिलाएं 10 लाख से अधिक का लेन-देन कर रही हैं। ग्राम की महिलाओं ने ग्राम में ही सामूहिक सिलाई सेन्टर की स्थापना की है। गांव की मनीषा बेलदार के कथन के अनुसार आजकल गांव की महिलाओं की तस्वीर बदल गई है।

पूर्व में हम प्रायवेट कम्पनी से ऋण लेते थे, जो हमें काफी महंगा पड़ता था। आजीविका मिशन आने के बाद एवं उनके बताए अनुसार उपलब्ध योजनाओं को अपनाया गया, जिससे प्रायवेट कंपनी से ऋण लेने की प्रक्रिया पर लगाम लग गई, जो गांव के लिए लाभदायक साबित हुई सभी महिलाओं ने इस तरह बदली गांव की तस्वीर, बना आदर्श गांव।

आजीविका मिशन के जिला परियोजना प्रबंधक संदीप सोनी ने बताये अनुसार करीब एक साल पहले ग्रामीण महिलाओं ने ग्राम में आजीविका मिशन अंतर्गत 5 समूह गंगा, मुस्कान, आरती, नर्मदा एवं राधा स्व-सहायता समूह का गठन किया गया। समूह गठन के पश्चात महिलाओं ने बचत करना शुरू कर दिया एवं आंतरिक लेन-देन प्रारंभ किया। जिसके परिणामस्वरूप तीन माह पश्चात आजीविका मिशन द्वारा समूहों को रिवाल्विंग फंड की राशि स्वीकृत की गई, जो प्रति समूह 12 से 25 हजार रूपए थी।

समूहों के सफल संचालन के बाद 5 समूहों के माध्यम से गांव में ग्राम संगठन का गठन किया गया। इसके बाद आजीविका मिशन ने ग्राम संगठन को 2 लाख 25 हजार रुपए की आजीविका निवेश की राशि प्रदान की गई। इसके बाद गांव की महिलाओं ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

वर्तमान में ग्वाडिया गांव, समस्त महिलाओं के आपसी सहयोग से आर्थिक दृष्टि से समृद्ध होते हुए विकास की दिशा में अग्रसर हो रहा है।

फिर देखा आपने कैसे छोटे से गांव की महिलाओं ने आपसी सहयोग से परिस्थितियों में परिवर्तन करने की कोशिश की और कामयाबी भी मिली, और यही सच है, सभी पाठकों से मेरा सहृदय निवेदन है कि इस मुद्दे पर गहराई से सोचने की आवश्यकता है क्यों कि किसी भी क्षेत्र या संगठन के प्रत्येक कार्य आपसी सहयोग से किए जाएं तो अवश्य रूप से सफलता हासिल होती ही है।


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