सुबह का आगाज़
सुबह का आगाज़
तिरुवनंतपुरम स्थित कोवलम बीच की पिकनिक मैं भूल नहीं सकता मम्मी, कैसे बीच में अचानक आई बाढ़ में से राघव को जैसे-तैसे हम दोस्तों ने बचाया, नहीं तो वह डूब ही जाता।
मन ही मन सोचते हुए राधा ने कहा, हां सुयश ऐसे ही जीवन में कुछ खट्टे-मीठे पल याद रहते हैं, वो तो भगवान का लाख-शुक्र है, जान बच गई, बस राघव पुनः वो नज़ारा देख सके।
ज़रूर देखेगा राघव स्वयं की आंखों से नियमित बहता समुद्र का पानी, अटल खड़े-वृक्ष, नित-नयी सुबह का आगाज़ करती सूरज की किरणें कह रहीं हों, तुझे आना ही होगा ।