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ओमप्रकाश क्षत्रिय प्रकाश

Inspirational

4.5  

ओमप्रकाश क्षत्रिय प्रकाश

Inspirational

हवा की आत्मकथा

हवा की आत्मकथा

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“मैं हवा हूँ, जानते हो, मैं लगातार 1650 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बहती रहती हूँ मगर, फिर भी आप को लगता है कि मैं स्थिर हूँ। जानते हो बेक्टो ऐसा क्यों होता है ?”

बेक्टो ने “नहीं।” में सिर हिला दिया, यानि मैं नहीं जानता हूँ।

तब हवा बोली, ' इस का कारण यह है कि पृथ्वी भी इतनी ही रफ्तार से अपनी धुरी पर घूमती रहती है। जब दो चीज़ें समान रफ़्तार से चलती है तो एक-दूसरे के साथ वे स्थिर होती हैं, इस कारण मैं स्थिर रहती हूँ। जब मेरी रफ्तार इस से ज्यादा तेज हो जाती है तो तुम्हें लगता है कि मैं बह रही हूँ।” हवा ने कहा तो बेक्टो ने हाँ में गर्दन हिला दी।

''जब गर्मी में मेरी हवा में धूल ज्यादा होती है तो मेरी इस हवा को आँधी कहते हैं।''

यह सुन कर बेक्टो को याद आया, ''हाँ हाँ, गर्मी में जब धूल के गुब्बार उड़ कर चलते हैं तब मम्मी कहती थी कि बेटा बाहर मत निकलना, बाहर आँधी चल रही है।''

''हाँ, तुम्हारी मम्मी सही कहती थी।'' हवा ने कहना जारी रखा, ''जब पानी के साथ तेज हवा चलती है तो इसे तूफान कहते हैं।''

यह सुन कर बेक्टो बोला, ''गत वर्ष ही इस तूफान ने जापान में बहुत नुकसान किया था, हजारों मकान और जानवर नष्ट हो गए थे।''

''हाँ, सही कहा तुमने,'' हवा ने कहना जारी रखा, ''जब वर्ष भर समान रूप से हवाएँ चलती है उस स्थान पर चलने वाली हवाओं को व्यापारिक हवाएँ कहते हैं, क्योंकि ये हवाएँ व्यापारिक नौकाओं को चलाने का काम करती है, इसलिए इसे व्यापारिक हवा के नाम से जाना जाता है।''

हवा की यह बात सुन कर बेक्टो ने पूछा, ''मैंने पछूआ हवा का नाम सुना है, इन हवाओं को पछुआ हवाएँ क्यों कहते हैं ?''

''जब व्यापारिक हवाएँ विपरीत दिशा की ओर चलती है तो उसे पछुआ हवाए या विरूद्ध व्यापारिक हवाएँ भी कहते हैं। कुछ हवाएँ दक्षिणी गोलार्द्ध पर गरज के साथ चलती है, इसलिए इन्हें गरजने वाली हवा या गरजता हुआ चालीसा कहते हैं। ये हवाएँ दक्षिणी गोलार्द्ध् की ओर 40 डिग्री अक्षांश के बीच बहती रहती है।'’

बेक्टो हवा की बात सुन रहा था, उस ने हाँ में गर्दन हिला दी।

हवा ने कहना जारी रखा, ''ध्रुव के 60 से 90 अक्षांश के मध्य चलने वाली हवाओं को धुव्रीय पवन कहते हैं, जब कि समुद्र से जमीन की ओर चलने वाली हवाओं को समुद्री हवाएँ या समुद्री समीर कहते हैं। यहाँ समीर का मतलब भी हवा ही होता है।'’

''रात में थल यानी जमीन से समु्द्र की ओर हवाएँ चलती है, इसे थल समीर कहते हैं।'' हवा ने कहना जारी रखा।

''जब कभी गरज के साथ जोरदार वर्षा होती है तो इन्हें बरसाती हवा कहते हैं, जब यह तीव्र गति से चलती है तो पानी में चलना मुश्किल हो जाता है, वही गर्मी में जब गर्म-गर्म हवाएँ चलती है तो इन गर्मी भरी हवाओं को लू कहते हैं।''

''यह सब मेरे नाम है।'' हवा ने कहा और हवा को जरूरी काम याद आ गया। उस ने कहा, '' बेक्टो में चलती हूँ, मुझे कुछ जरूरी काम आ गया। तुम्हें मेरी यह आत्मकथा अच्छी लगी होगी।''

यह कह कर हवा चली गई।

बेक्टो नींद में सोया हुआ था, यह सुन कर आँख मल कर बैठ गया।

वाकई उस ने सुंदर सपना देखा था, वह सपने में हवा की आत्मकथा सुन रहा था।।


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