सर्वे सुखिनः सन्तु
सर्वे सुखिनः सन्तु
"लीजिए मैडम बदल गया ड्रम वाशिंग मशीन का। अब कोई दिक्कत नहीं। खूब कपड़े धोइए।" सर्विस मेन ने मशीन चालू करके टेस्ट कर दी।
"अरे वाह...अच्छा हुआ। बरसात के मौसम में वाशिंग मशीन खराब होने से बड़ी दिक्कत हो रही थी। कितना बिल हुआ आपका?" मैडम ने राहत की साँस ली।
"सैंतीस सौ दे दीजिए। है तो साढ़े चार हज़ार का लेकिन यहाँ तो घर की बात है न तो मैं एक कस्टमर से उनकी पुरानी मशीन का ड्रम कह-सुनकर साढ़े तीन हज़ार में ले आया आपके लिए, दो सौ सर्विस चार्ज।" सर्विस मेन ने बताया।
मैडम ने खुशी-खुशी सैंतीस सौ रुपये थमा दिए। मैडम खुश थी एक हज़ार रुपए जो बच गए थे।
सर्विस मेन जेब में रुपये डालकर खुश हो रहा था। तीन हज़ार का ड्रम कस्टमर को पन्द्रह सौ का बताकर, उसे 'आपके यहाँ तो घर की बात है न तो दूसरे कस्टमर को थोड़ा ज्यादा में टिका देंगे, आपका नुकसान नहीं होना चाहिए' कहकर तेइस सौ में खरीद लाया था।
पहला कस्टमर आठ सौ ज्यादा मिलने से खुश था। मैडम एक हज़ार बचने पर खुश थी।
और सर्विस मेन बाइक से घर जाते हुए इस ऊपरी कमाई से बीवी-बच्चों के लिए कुछ लेने के लिए बाजार की तरफ मुड़ गया। आखिर उन्हें भी तो खुश करना है।