खुशियों की नयी शुरुआत का आगाज़
खुशियों की नयी शुरुआत का आगाज़
प्रभा के चले जाने से अशोक अकेले हो गए, उनकी नौकरी दूसरी जगह थी। दोनों बेटों की शादी रचा दी थी, बस चिंता थी, बेटी रचना की शादी की। माँ के जाने के बाद वह डिजाइनिंग के काम में व्यस्त रहती। दोनों बेटे अमेरिका में अपने व्यवसाय में व्यस्त थे।
माँ की सलाह पर अशोक ने विधवा सविता,वह गरीबों को पढ़ाती, सहारे के लिए उससे दोबारा शादी रचायी। बेटी ने कहा, खुश रहो पापा आप परिवार की सबसे बड़ी ताकत हो। दादी ने इस तरह परिवार में खुशियों की नयी शुरुआत का आगाज़ किया।