अवबोध
अवबोध
मम्मी, तभी मैं आपके पास बैठता नहीं हूं। बस आप हमेशा ऐसा ही कुछ बोल कर टोकती रहती हैं, कभी कुछ-कभी कुछ।
मेरे किशोरवय बेटे ने झुंझलाते हुए मुझसे कहा।
चौंकते हुए मैंने सिर ऊपर उठाया, "क्यों, क्या कहा मैंने तुमसे ? बताओ तो ज़रा मुझे !
बस यही जो अभी कह रही थीं, इस बेल्ट का क्या करेगा, क्या घर में बांधकर घूमेगा ? यह कपड़े यहां क्यों फैलाए हैं ?
मैंने हथियार डालते हुए कहा, "ठीक है अब आगे से कुछ नहीं कहूंगी।
बस, यही, यही नहीं चाहता कि आप इस तरह बात करो मुझसे।
अब मैं थोड़ी चौकन्नी होकर बोली, "ठीक है मौन व्रत रख लेती हूं, आज के बाद तुझे कुछ नहीं कहूंगी।"
बस मम्मा, यही, यही सब नहीं सुनना चाहता मैं आपसे, कुछ शिकायत करो तो बस मौन व्रत की धमकी ! और वह बड़बड़ाते हुए अपने कमरे में जाने लगा।
मैं भी कहाँ चुप बैठने वाली थी ! आज तो लग रहा था जैसे मेरे सामने ममता के जीवन-मरण का प्रश्न आ खड़ा हुआ है।
मैंने खुद को संयत किया और उसके पीछे जाते-जाते बोली, "अच्छा बता तो आज के बाद तुझे सुबह उठाना बन्द कर दूँ ?
हाँ,नहीं नही--- मेरा मतलब ,वह तो आप उठाएंगी ही न मुझे, मेरी नींद थोड़े ही न खुलती है सुबह अपने आप।
अब मुझे लगने लगा कि मेरा थोड़ा-सा महत्त्व तो बचा है बेटे की जिंदगी में।
गले को साफ करते हुए मैंने अगला तीर छोड़ा, "खाना खाने के लिए कहूँ या वह भी बाहर खाकर आएगा ?
" मम्मा आप भी न ! आपका बनाया हुआ खाना कितना पसन्द है मुझे ,पता है न आपको---- यह तो करेंगी ही आप ।
तब तक मैं उसे लेकर बेड पर बैठ चुकी थी।
अच्छा, एक बात और बताओ, "तुम्हें पढ़ाई करने के लिए कहना है या वह भी खुद कर लोगे ?
तब तक वह थोड़ा नर्वस और मैं थोड़ी आत्मविश्वासी हो चुकी थी।
मम्मा ,जब तक आप मेरे पास नहीं बैठतीं, मैं कैसे पढ़ पाऊंगा ? आप भी न !
मैंने मेरी हंसी दबाते हुए कहा, तो अब बता मुझे क्या-क्या नहीं कहना है तुझसे ?
बस मम्मा सब कुछ कह लो केवल बाहर से सामान लाने के लिए पीछे मत पड़ना।
मैंने थोड़ा रुकते हुए तरकस में तीर टटोला अभी भी एक बाकी था वहां।
ओके, मेरे राजा बेटा ! वह तो मैं ही ले आऊंगी चाहे मुझे कितना भी और काम क्यों न हो ? तुझसे तो अब कभी न बोलने वाली। अब खुश !
अरे नहीं मम्मा, ऐसे तो मैं भी ला दूंगा न कभी-कभी ----आप तो वैसे भी कितना काम करती हैं न !
कहते हुए मुझसे लिपट गया, "मेरी अच्छी मम्मी-प्यारी मम्मी, दुनिया की सबसे केयरिंग मम्मी।"
किशोर मन को संतुष्ट करने के साथ ही मेरे चेहरे पर भी सन्तुष्टि के भाव उभर आए।