दिल नॉटी हो गया
दिल नॉटी हो गया
"बात उन दिनों की है जब मेरी बेटी कि फर्स्ट डिलीवरी हुई। मेरी बेटी की ससुराल भी एक ही शहर में है। हम लोग बेटी को दो-तीन महीने पहले ले आए थे। हॉस्पिटल में बेटी को प्यारी बेटी हुई, उसके सुसराल वाले और सब मिलने-जुलने आने लगे बच्ची को देखने, मेरी समधन ओवर स्मार्ट है। एक दिन जोश-जोश में सबके सामने मुझ से पूछने लगी, हमारे मिलने वाले आ रहे हैं क्या दे गए ?
मैं थोड़ा सा मज़ाकिया हूँ, मैंने हँसते हुए उनको जवाब दिया- बधाइयाँ दे गए हैं ले जाना।
उनके बच्चे और पति हमारा दामाद सब घबरा गए। उनका चेहरा देखने लायक़ था ....।
वो दरअसल हॉस्पिटल में मिठाइयों के ड़ब्बे उठा ले गई थी। हम दोनों हसबेंड, वाइफ ख़ामोश थे क्यों कि हम दोनों अपनी बेटी और नातिन में लगे हुए थे। हमें इतना होश ही नहीं था। उनके जाने के बाद मैं, पत्नी और बेटी हम सब हँस-हँस कर लोटपोट हो गए .......।