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असली कन्यादान

असली कन्यादान

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रामरती बेटे राकेश को सलाह दे रही थी कि किसी दूहाजू के साथ छोरी को ब्याह दे लेकिन शीला के विरोध से दाल नहीं गल रही थी। 

आखिरकार इक दिन चुप्पी तोड़ शीला बोली,

"आखिर क्यों माँजी ? जब आशा पैदा हुई तब भागवंती नाम रख फूली नहीं समाई थीं आप, लेकिन आज वो आपको फूटी आँख नही सुहाती ।" शीला बोली

" तब आशा के बाद परिवार में लड़कन ही पैदा भये, पर अब सोचूँ भलो होतो या छोरी की जगह छोरा होतो तो चोखो होतो क्यूँ कि लड़का देखन खातिर राकेश की जो हालत है, ना देखी जाय।" रामरती बोली   

सुनते ही शीला पर सासू के शब्दों का वज्रपात हुआ तो बोल उठी  

" माँजी मेरी बेटी तो वाकई मे भागवंती है जो आप जैसी दादी के दिल में उसके लिए ओछे विचारों के होते हुए आपसे कन्यादान नहीं लेगी।"


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