जय हिन्द
जय हिन्द
आज करवा चौथ का व्रत था। शालिनी ने उपवास रखा था। शाम को वह पूजा के लिए सज- धज कर तैयार थी। उसे अपने पति का इंतजार था। उसके पति "मेजर बलवंत" आर्मी में पदस्थापित थे। एक हफ्ते पहले उन्होंने फोन पर बोल दिया था कि इस बार करवा चौथ में वे ज़रूर आएँगे। शालिनी ने खुशी- खुशी सारी तैयारियाँ की थी। उसकी सासू माँ ने उसे 'सरगी 'का सारा सामान दिया था। मगर शाम होते- होते मेजर बलवंत नहीं आए। पूजा का समय भी नज़दीक आते जा रहा था। शालिनी को बहुत तनाव होने लगा था। अचानक फोन बजा---उसने देखा उसके पति देव का फोन है,
हेलो शालिनी----पूजा हो गई?
पति की आवाज़ सुनकर उसकी जान में जान आई।
नहीं, आप अभी तक क्यों नहीं आए??
साॅरी शालिनी, इस बार मैं नहीं आ सका,
दरअसल मैंने एक जुनियर आफिसर की छुट्टी मंज़ूर कर ली है, उसकी पत्नी का पहला करवा चौथ था।
प्लीज शालिनी, मेरे फोटो से काम चला लेना--- और वैसे भी दो महीने बाद हमारी शादी की सालगिरह है, उसमें ज़रूर आऊँगा ।
अच्छा मैं फोन रखता हूँ --- बाद में बात करूँगा --। कहकर मेजर साहब ने फोन काट दिया।
फोन रखकर शालिनी सासु माँ के साथ पूजा करने चली गई। अब उसका मन शांत था।
आज उनकी शादी की सालगिरह थी।
शालिनी ने पूरी तैयारी कर ली थी, घर को दुल्हन की तरह सजा दिया था। शाम को पार्टी की व्यवस्था थी। छोटी सी अपूर्वा इधर- उधर फूदकती फिर रही थी। सुबह से वह मेजर साहब का इतंजार कर रही थी। एक दो बार फोन भी लगा चुकी थी। मगर सिगनल व्यस्त आ रहा था। माता जी बार- बार पूछती शालिनी बेटा, कब पहुँचेगा बलवंत??
उसे आज की तारीख याद है न-----??
जी माँ,आ ही रहे होंगे ।
दोपहर हो गई थी, अब किसी काम में शालिनी को मन नहीं लग रहा था। उसने टीवी आन किया, टीवी पर ब्रेकिंग न्यूज आ रही थी- --आतंकवादियों ने अनंतनाग के सेक्टर दो क्षेत्र में हमला कर दिया है- --। चार जवान शहीद हो गये है, मुठभेड़ जारी है- ---। न्यूज सुनकर शालिनी के हाथ- पाँव काँपने लगे,
टीवी बंद कर गुमसुम से बिस्तर पर बैठ गई। उसके मन में बुरे - बुरे ख्याल आने लगे। उसने माता जी को इस बारे मे कुछ नहीं बताया।
अचानक फोन की घंटी बजी----'
शालिनी ने लपक कर फोन उठाते हुए पूछा ----क्या हुआ?? आप ठीक तो है न???
फोन पर कोई जवाब नहीं था, फोन के पीछे सिर्फ खामोशी थी।
शालिनी का दिल दहल गया। तभी आवाज़ आई "पीछे देखो! पीछे उसके पति खड़े थे,
वह रोती हुई अपने पति से लिपट गई------
मेजर साहब कह रहे थे "शालिनी तुम्हें अपने आप को संभालना होगा, तुम एक आर्मी अफ़सर की पत्नी हो! तुम्हें हर परिस्थिति का बहादुरी से सामना करना है- ---'
मुझसे वादा करो----'
शालिनी धीरे से बोली, वादा----'
मैडम जी ---बाहर चलिए ---- अपने को संभालिए!
शालिनी धीरे- धीरे बाहर दरवाज़े पर आकर खड़ी हो गई---''
बाहर तिरंगे से लिपटा हुआ शहीद मेजर बलवंत पार्थिव शरीर पड़ा था।
शालिनी ने विचलित न होते हुए शहीद पति को सैलूट मारा और जोर से कहा- --"जय हिन्द "।
आज शालिनी आर्मी स्कूल के बच्चों को शिक्षा देने का कार्य करती है, और अपूर्वा सैनिक अस्पताल में चिकित्सक है।