अपमान
अपमान
प्रेरणा सीढ़ियों पर चढ़ती गुस्से से तिलमिला रही थी आँख में आंसू छलछला आये सीढियां धुंधली दिख रही थी उसे लगा उसका पैर लड़खड़ाएगा और वो नीचे लुढ़कती चली जाएगी ,अभी भी उसके दिमाग में बवंडर उठ रहा था वो वहीं सीढ़ियों पर बैठ गई ।राशि ने ऊपर से आते देख लिया था प्रेरणा को वो लंबे डग भरती प्रेरणा के पास पहुँची उसे संभाला उठाया और जलपान गृह ले आई ।
"आखिर हुआ क्या है बता तो प्रेरणा ऐसे कैसे पता चलेगा कि समस्या क्या है" राशि ने प्यार से पूछा ।
स्नेहिल सहारा पा कर प्रेरणा बिखर गई और रोतें हुए बोली " क्या स्त्री के लिए नौकरी करना अपराध है जिसे देखो नजरों से तो चीर हरण करता है रहता है आज तो श्रीमान वर्मा जी ने मेरी राह रोक कर मेरा हाथ ही पकड़ लिया और ऐसे शब्दों का प्रयोग की अंतर्मन छलनी हो गया राशि दीदी ऐसा क्यों होता है ।"
राशि को अपना अतीत याद आ गया अब से बीस साल पहले उसके साथ भी ऐसा ही हादसा हुआ था तब मेघा दीदी किसी चट्टान की भाँति उसके साथ खड़ी हो गई थी और अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही को मजबूर कर दिया था उन्होंने कार्यालय को। आज फिर नवोदित कर्मचारी के साथ इतिहास दोहराया जा रहा था गुस्से से तिलमिला गई राशि ।
"चिंता मत करो प्रेरणा मैं हूँ तुम्हारे साथ इस लड़ाई को कैसे लड़ा जाए कि, चेहरा बेनकाब हो जाए,और दूध का दूध पानी का पानी हो जाये अब हमें इसकी रणनीति तैयार करनी होगी। तुम हिम्मत से काम लो ये तो पूरी नारी जाति का अपमान है सिर्फ तुम्हारा ही नहीं" कहते हुए हिम्मत बंधाई प्रेरणा की राशि ने।