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उड़ी रे उड़ी

उड़ी रे उड़ी

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गुल्ली (गिल्ली) डंडा, कंचे व् पतंग हमारे देश भारत के मध्य व् निम्न वर्गों के प्रचलित खेल हैं।

अहमदाबाद में हर साल १४ जनवरी से पहले एक दिन अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव मनाया जाता है। अहमदाबाद में पतंग नाम का एक रिवॉल्विंग रेस्टोरैन्ट भी है।

पूरे राजस्थान, ख़ास कर जयपुर में हर साल मकर सक्रांति पर १३ से १५ जनवरी 'पतंग उत्सव' का आयोजन किया जाता है, जिसमें विदेशी पर्यटक भी भाग लेते हैं।

'उड़ी रे उड़ी पतंग उड़ी. नीली पीली पतंग है मेरी, सर सर उड़ती जाये' उत्तर भारत में सावन (अंग्रेजी के अगस्त) के महीने में नाग पंचमी, गुड़िया व् रक्षा बंधन त्यौहारों पर खूब पतंग उडाई जाती हैै.

लेकिन यहाँ तो शाम के वक़्त श्रीमती उर्वशी जी दिल्ली की फ्रैनड्स कॉलोनी के बंसल अपार्टमेंटस के डी ब्लाक की पन्दहरवि मंजिल के अपने फ्लैट नंबर १५४४ की बॅालकनी से सुखाये हुए कपड़ों को उतारते हुए परेशान हैं कि उनकी एक साड़ी कहाँ उड़ गई। शायद सुबह क्लिप ठीक से नहीं लगी थी और आज हवा बहुत तेज़ चल रही थी। नीचे सड़क पर तो पड़ी हुई नहीं दिख रही। लगता है या तो उड़ कर किसी और के फ्लैट में चली गयी या फिर नीचे सड़क से कोई उठा के ले गया होगा। किस से पूछे, कैसे पूछे ? उसी उलझन में शाम को नीचे पार्क में लेडीज गॅासिप असैम्बली में भी नहीं गयी।

बंसल अपार्टमेंटस बंसल ग्रुप ऑफ़ कम्पनीस में कार्य करने वालों के लिए बनाया गया है। पास ही वसंत विहार में कंपनी का हैड आफिस है। अभी कुछ दिन पूर्व ही अपने पति बंसल ग्रुप की एक कम्पनी में जनरल मैनेजर श्री राजेश जी के साथ एक अच्छी दुकान से खरीद कर लायी थी।

पति के आफिस से आने पर उनको साड़ी के उड़ने के बारे में बताया। इसमें पति भी क्या कर सकते थे। दोनों ने संध्या वंदन किया : ओ पालनहारे, निर्गुण और न्यारे, तुमरे बिन हमरा कौनो नाहीं, हमरी उलझन सुलझाओ, भगवन तुमरे बिन हमरा कौनो नाहीं.

पति सुबह मार्निंग वाक पर गए। अपार्टमेंटस के मुख्य गेट पर नोटिस बोर्ड पर चौक से लिखा था कि एक साड़ी सड़क पर पड़ी मिली है, जिस किसी की हो ले जाए। श्री राजेश जी समझ गए कि सडक पर किसी को मिली होगी। अगर किसी को मिली होगी तो उसने गेट पर जमा करा दी होगी।

श्री राजेश जी ने सिक्योरिटी वालों से साड़ी नहीं मांगी। लेकिना नुकसान खल तो रहा ही था। उसी उधेड़ बुन में आफिस चले गए। श्री राजेश जी अपने बॉस वाईस प्रैसिडैन्ट श्री मोहन जी के बहुत मॅुह लगे थे। श्री राजेश जी ने मौका देख कर सारी बात श्री मोहन जी को बताई।

श्री मोहन जी कम्पनी के मालिकों के बाद दूसरे नंबर के अधिकारी थे।उनसे सवाल जवाब करने की किसी की हिम्मत नहीं थी। उन्होंने तुरंत बंसल अपार्टमेंटस के सिक्योरिटी इनचार्ज़ को फ़ोन मिलवाया और साड़ी एक पैकेट में लपेट कर आफिस लाने को कहा।

१५ मिनट में पैकेट श्री मोहन जी की टेबल पर था। सिक्योरिटी इनचार्ज़ के जाने के बाद श्री मोहन जी ने श्री राजेश जी को अपने केबिन में बुलवाया और पैकेट हवाले कर दिया।

आज श्रीमती उर्वशी जी नीचे पार्क में लेडीज गॅासिप असैम्बली में गयी थी। वहां सब के पास उस साड़ी के बारे में कहने के लिये कुछ न कुछ ज़रूर था। वो साड़ी फ्लैट नंबर २४० में रहने वाली श्रीमती रेखा जी को कल दोपहर में सड़क पर मिली थी। कल शाम की असैम्बली में बकायदा उसकी प्रदर्शनी भी हुई थी. अनुमान भी लगाए गए कि किसकी हो सकती है, पर समस्या यह थी कि पूछा कैसे जाए। जब किसी ने दावेदारी पेश नहीं की। तो श्रीमती रेखा जी ने मुख्य गेट पर सिक्योरिटी के पास साड़ी जमा कर दी थी। श्रीमती उर्वशी जी चुप चाप सुनती रहीं।

शाम को घर पहुँच कर श्री राजेश जी ने अपनी धर्मपत्नी श्रीमती उर्वशी जी को वो पैकेट भेंट में दिया।

दोनों खुश थे, यही सोच रहे थे कि उड़ी रे उड़ी, साड़ी उड़ी, लेकिन मिल गयी। जबकि कटी हुई पतंग कहाँ मिलती है। तब से सुखाने के लिए उर्वशी जी दो दो क्लिप लगाती हआज दोनों ने संध्या वंदन में उलझन सुलझाने के लिए भगवन को धन्यवाद दिया.ैं।


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