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अजोरी

अजोरी

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दोस्तो किसी ने सच ही कहा है, कि जानवरों से ज्यादा वफादार कोई भी नहीं होता है. और जानवरों में भी सबसे ज्यादा वफादार होते हैं कुत्ते। कहने को तो बस एक पालतू जानवर है पर क्या किसी ने सोचा है कि ये जानवर अपनी वफादारी किस हद तक जा सकता है। नहीं ना,और सोच भी नहीं सकते क्योंकि हम इंसान है, जानवर नहीं। हम चाह कर भी उनकी तरह वफादारी नहीं कर सकते क्योंकि हम इंसान है जानवर नहीं।

कहने को तो हम सबसे समझदार प्राणी है पर जानवरों से ज्यादा नहीं है। हम ना ही वफादार उनसे ज्यादा है।

दोस्तो, ये उन दिनों की बात है जब मै छोता बच्चा था। जाड़े के दिन थे कोई भी अपने घरों से बाहर नहीं निकलते थे क्योंकि ठंड बहुत थी, और ना ही कोई बच्चों को घर से बाहर खेलने जाने देता था, और मैं खेल नहीं पाता था किसी के भी साथ और अकेला ही रह जाता था और काफी उदास रहता था।

एक दिन सुबह-सबह पिताजी बाजार जा रहे थे तो मैंने भी जाने कि जिद की तो पिताजी ने मना कर दिया। काफी जिद करने के बाद वो तैयार हो गये। हम दोनों साइकिल पर बैठकर बाजार चले गये। वहाँ से खरीददारी करके वापस आ रहे थे कि, हमने देखा की सड़क के एक किनारे कि ओर एक छोता सा कुत्ते का बच्चा ठंड की वजह से काँप रहा था।

मैंने पिताजी से कहा कि क्या हम इसे घर ले जा सकते हैं।

पहले मना किया फिर उन्होंने देखा कि वह काँप रहा है और उसे देख कर मैं काफी दुखी हूँ तो उन्होंने कहा कि ठीक है ले चलते हैं,और मैंने उसे उठा लिया। हम दोनों उसे घर ले आए और दोनों को देखकर मेरे दादाजी ने कहा-

अरे इसे कहा से लाए, जाओ छोटू, जहाँ से लाए हो वहीं रख आओ।

तो मेरे पिताजी ने मेरी तरफ देखकर कहा कि अरे बाबूजी रहने दिजीए, इतनी ठंड में कहाँ जाएगा।

प्रेम इसी के साथ खेलेगा। मुझे एसा लगा जैसे की मेरे पिताजी ने मुझे कोई खजाना दे दिया हो। मेरी खुशी का तो ठिकाना ही न थ। मैंने कहा- मां देखो कौन आया है। मां ने कहा- कौन है।

तो मैंने कहा- अरे मां, मेरा अजोरी है।

मां ने कहा- अजोरी।

हां मां, ये कितना सफेद है, बिल्कुल सुबह के उजाले की तरह मां। आज से इसका नाम अजोरी है। मैं और अजोरी साथ-साथ खाते और साथ-साथ सोते भी थे। देखते देखते एक साल हो गया और अजोरी भी काफी बड़ा हो गया है फिर से जाड़े के दिन आ गए।

हमारे किसी रिश्तेदार के यहाँ शादी थी। सभी लोग वहीं गए थे। उस दिन मैं और अजोरी घर पे अकेले ही थे। और काफी रात हो गई थी। हम दोनों खाकर सोने जा रहे थे। घर मे कोई भी नहीं था इसलिए मुझे अकेले डर लग रहा था क्योंकि हमारे गांव मे सभी लोगों के घर दूर-दूर थे और डर की वजह से मैं सो नहीं पा रहा था। कुछ देर बाद मैंने कुछ लोगों की आवाज सुनी।

मैंने सुना कि वो बात कर रहे हैं कि बच्चा घर में अकेला है यही सही समय है हाथ साफ करने का। किसी को पता भी नहीं चलेगा, ठंडी के दिन है। कोई घर से बाहर भी नहीं आएगा। यह सुनते ही मेरे होश उड़ गए। दो आदमी छत के रास्ते घर मे आ गए। उन्होने देखा कि ये अकेले हैं।

उन्होंने कहा- पैसे कहाँ है और मुझे मारने के लिए जैसे ही आगे बढ़े वैसे ही अजोरी ने भी उन पर हमला कर दिया और काटने लगा और मुझे बचा ने के लिए उनसे भीड़ गया। तभी उनमें से एक ने चाकू से उस पर वार किया। तब मैं भी मौका देखा और भाग कर घर से बाहर जाकर मेरे पड़ोसियों को बुलाया कि चोर मेरे घर.... चोर आ गए हैं, मेरी कोई मदद करो।

मेरी आवाज सुनकर सभी भाग-भाग कर आए और मेरे साथ जब घर आए तो देखा कि वो लोग भाग चुके थे और अजोरी नीचे पड़ा हुआ तड़प रहा था। अजोरी को देख कर मैं जोर-जोर से रोने लगा कि अजोरी इसे क्या हुआ। मेरे पड़ोसी मुझे वहाँ से ले गए।

दोस्तो, इसे कहते हैं वफादारी, वह अपनी आखरी सांस तक मेरे लिए लड़ा और अपनी जान दे दी।


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