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समाज सेवक व सेविका

समाज सेवक व सेविका

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समाज की सेवा में अपना जीवन समर्पित करने की भावना उसमें सदा से ही थी। गुणवान माँ की बेटी होने के कारण उसे घर मे ही सहज रूप से कई कलाओं का ज्ञान प्राप्त हो गया था। बच्चों के विद्यालय और पति के काम पर जाने के बाद उसके पास जो खाली समय बचता था उसे वह समाज सेवा मे समर्पित करने के उद्देश्य से जब उसने घर से बाहर पैर निकालने की सोची। इस विषय में घर मे बात की तो सभी उसके विचारों से सहमत हो गये। तभी उसे अख़बार के एक विज्ञापन के जरिये एक एन जी ओ से जुड़ कर कार्य करने का मौक़ा मिला।वह अवैतनिक शिक्षिका के रूप मे वहाँ विभिन्न कलाओं को वहाँ आये विद्यार्थियों को सिखाने लगी। वहाँ और भी कई कलाएँ सिखाई जाती थी।

नित्य वहाँ जाने पर अक्सर वह लोगों की निगाहें अपनी और उठती देखती पर वह अपने काम से काम रखती और खुश रहती। तभी किसी से उसे पता चला कि वहाँ के संचालक का मुख्य कार्य तो सैक्स रैकेट चलाना है।एक दिन उसने देखा कि कोई महिला उसे खिड़की से झाँक कर देख कर गयी है। उसको कुछ अजीब सा लगा।पता लगाया तो पता चला कि वो संचालक की परिचिता थी और देखने आई थी कि यह नयी शिक्षिका कौन और कैसी है। फिर उसे कई लोगों ने अगाह किया कि इस जगह को छोड़ दो, कल को पकड़ी गयी तो अख़बार में मोटे अक्षरों मे नाम छपा होगा कि सैक्स रैकेट चलाती पकड़ी गयी। शुरू में तो वह सबकी बातों को हवा में उड़ाती रही कि जब कर नहीं रही तो डर कैसा, मैं सही हूँ और मेरे भरोसे पर लोग अपनी बेटियों को छोड़ जाते है।

ऐसा वह इसलिये कहती थी क्योंकि कई माताएँ उसके मुँह पर उससे कह कर गयी थीं कि आपके भरोसे ही हम अपनी बेटियाँ यहाँ भेज रहे हैं वरना संचालक की छवि तो बहुत खराब है।

फिर जब उसकी माँ ने कहा कि काजल की कोठरी मे कितनी भी सावधानी करो कालिख तो लग ही जाती है।किस-किस को सफाई दोगी, तभी एक दिन अख़बार में किसी संचालिका के सैक्स रैकेट चलाने के जुर्म में जेल जाने की खबर आई जिसे देख वहाँ मौजूद सभी विद्यार्थी व शिक्षिकाये घबरा गयीं और उन्होने एक साथ ही मिल कर इस संस्थान को छोड़ने का फ़ैसला ले लिया।

इतने समय तक लगातार छात्राओं का प्यार पाने के बाद घर पर खानी बैठना जब उसे अच्छा नहीं लगा तो उसने अपने घर पर ही रह कर सबको सिखाने का संकल्प ले लिया। तभी उसे फेसबुक के खुले मंच के बारे में पता चला। अब वह वहाँ स्वच्छन्द रूप से सबसे जुड़ कर अपनी कलाओं को सिखाकर अपने अन्दर छिपी समाज सेवा की इच्छा को सन्तुष्ट करने लगी।

अब वह बहुत खुश है, अपने आप से सन्तुष्ट है। गलत कार्यों को छुपाने के लिये खोले गये एन जी ओ से जुड़ कर उसे जो ठेस पँहुची उससे उसका भरोसा सभी एन जी ओ से आज उठ गया है।


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