कॉलेज लाइफ
कॉलेज लाइफ
" रोबिन ने तो पूरे गाँव का नाम रोशन कर दिया!"
"किस ने सोचा था एक मज़दूर का बेटा आई आई टी में अव्वल दर्जा हासिल करेगा!"
देश की हर पत्रिका के पहले पन्ने पर रोबिन का नाम बड़े अक्षरों में छपा था ....
'एक पिछड़े गाँव के लड़के,
रोबिन ने किया आई आई टी की परीक्षा में टॉप'
"बेटा, तुम्हारे जैसा पुत्र पाकर तो हम धन्य हो गए ", रोबिन के पिता ने गर्व महसूस करते हुए कहा।
"पिता जी आपके आशीर्वाद के बिना यह कभी मुमकिन नहीं हो पाता ", रोबिन ने कहा।
रोबिन को देश के सबसे बड़े कॉलेज में दाख़िला मिल गया अंतत : वह गाँव से विदा लेकर शहर चला गया।
गाँव से होने के कारण, रोबिन का रहन-सहन शहरों से काफी अलग था। कॉलेज में उसे कोई भी अपना दोस्त नहीं बनाना चाहता था। वह अकेला महसूस करने लगा पर उसने हिम्मत न हारी और सब से घुलने मिलने की कोशिश करता रहता।
"नमस्ते....मेरा नाम रोबिन है क्या मैं यहाँ बैठ सकता हूँ?, रोबिन ने कैंटीन में बैठे कुछ विद्यार्थियों से कहा।
पहले तो वह सब उसे ईर्ष्या की नज़रों से देखने लगे, पर उनमे से एक लड़का रॉकी खड़ा हुआ।
"अरे आओ यहाँ बैठो", रॉकी ने उसे अपनी कुर्सी पर बैठने को कहा।
बाकी विद्यार्थी रॉकी को घूरने लगे, तो उसने उन्हें इशारा किया, वह समझ गए कि की कोई और योजना है।
"आप सब कितने अच्छे हैं, नहीं तो कॉलेज के किसी विद्यार्थी को किसी से कोई मतलब ही नहीं है ",
रोबिन ने कहा।
"तुम सही कह रहे हो, सब यहाँ मतलबी हैं तुम सब को छोड़ो और हमारे दोस्त बन जाओ फिर देखना तुम्हें कभी अकेलापन महसूस नहीं होगा", रॉकी के दोस्तों ने कहा।
उस दिन के बाद रोबिन, रॉकी और उसके दोस्तों के साथ ही समय बिताने लगा, वह उनके साथ ही खाता पीता और घूमता था। एक दिन रोबिन ने रॉकी को बाहर किसी आदमी से नशे की गोलियां लेते हुए और उसे पैसे देते हुए देखा।
"तुम सब ने मुझे धोखा दिया है, मैं तुम सब जैसा नहीं हूँ। आज के बाद मैं तुम में से किसी से कोई संबंध नहीं रखूँगा ", यह कह कर रोबिन ने उनसे मिलना बंद कर दिया।
लेकिन एक हफ्ते में ही रोबिन की हालत बहुत खराब हो गई। उसे साँस लेने में बहुत तकलीफ़ होती, उसका शरीर काँपता रहता और वह पढ़ाई पर बिलकुल ध्यान नहीं दे पा रहा था।
एक दिन रॉकी का दोस्त, सूरज रोबिन के कमरे में आया।
"रोबिन, मैं जानता हूँ तुम्हारी क्या हालत है इसका एक ही इलाज है, तुम यह नशे की गोलियां खालो", सूरज ने कहा।
"मैं यह कभी नहीं करूँगा, तुम मुझे अपने जैसा बनाना चाहते हो", रोबिन ने कहा।
"हमारे जैसे तो तुम बन ही चुके हो I तुम जानते नहीं कि रॉकी तुम्हारे खाने में नशे की गोलियां मिलाता था।उसने मेरे साथ भी यही किया था, मैंने बहुत कोशिश की तुम्हें बचाने की पर कुछ न कर पाया", सूरज ने गोलियां टेबल पर रखी और चला गया।
रोबिन यह सुन कर अचम्भित हो उठा, बर्दाश्त न होने के कारण उसने नशे की गोलियां खा लीं और बहुत दिनों बाद चैन की नींद नसीब हुई। पर क्या यह वाकई चैन की नींद थी या बर्बादी की।