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कल फिर आना

कल फिर आना

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राजेश बहुत दिनों से किसी उधेड़बुन में था। वह किसी निर्णय पर पहुंच पाता उससे पहले उसके फ़ोन की घंटी बजे उठी, लेकिन उसके ध्यान उस ओर नहीं था । तभी अचानक एक अजनबी हाथ के स्पर्श ने उसे छूकर उसकी कश्मकश को कुछ कम करते हुए, जेब में रखे मोबाइल फ़ोन की बजती हुई घंटी की तरफ उसके ध्यान दिलाकर उसको चौंका सा दिया। उसने जेब से फ़ोन निकाला, उसकी स्क्रीन पर रिया का कॉल आ रहा था..... "तुम कहाँ हो राजे मैं कब से फोन कर रही हूं,तुम बात क्यों नहीं कर रहे हो? क्या कोई परेशानी है....। "


इतना सुनकर राजेश ने फोन काट दिया । 


वो फिर एक तरफ जाकर कहीं किसी कोने की तलाश करने लगा, जहाँ कोई उसको परेशान न कर सके । उसको मेट्रो के गेट नंबर 4 पर स्वयं को महफ़ूज़ पाया, कुछ देर उदास बैठा रहा । अचानक एक तेज़ हवा के झोंके ने उसके माथे की सलवटों को चमकाते पसीने को एक ठंडक ओर ताज़गी भरे एहसास में बदल दिया। वो यह सब महसूस ही कर रहा था तभी एक पहचानी आवाज़ ने फिर उसको चौंका दिया, "ऐ सी की ताज़ा हवा है लोग इसकी ठंडक के लिए ही यहाँ बैठते है। "


उसने वो आवाज़ पहले कहाँ सुनी है इसका सही अंदाज़ लगा पाना राजेश के लिए मुश्किल था फिर भी उसने हिम्मत करके पूछ ही लिया, " क्या मैं आपको जानता हूं?"


उस अजनबी ने अपना परिचय कुछ दिलचस्प अंदाज़ से देते हुए कहा, " जी बिल्कुल, अभी थोड़ी देर पहले आप किसी बेख्याली में ग़ुम थे ओर आपका फोन तेज़ी से रिंग कर रहा था । तब मैंने ही आपको बताया था उस फोन के लिए...... मुआफ़ कीजियेगा मेरा आपको हैरान या परेशान करने का इरादा नहीं था, मैं अमीर हूं जेब से नहीं सिर्फ नाम से साहिब !"


यह सुनकर राजेश मुस्कुरा दिया यह कहते हुए और मुझे गरीब कहते है... मेरा मतलब राजेश शर्मा....। 


"चलिए गरीब जी हमारा नाम आपके चेहरे पर मुस्कान तो लाने में मददगार साबित हुआ अब इस नाम से हमें कोई शिक़वा नहीं । " वो मुस्कुराहट कुछ देर के लिए ही सही। दोनों एक दूसरे के बारे में बात करते है राजेश अपने बारे में बताता है वो एक सेल्स एक्सक्यूटिव है जो एक इन्सुरेंस कम्पनी में काम करता है और अक़्सर यही से होकर गुज़रता है.। आज किसी ने उसके पर्स पर हाथ साफ कर दिया, आज सुबह से ही उसकी ऐसी तैसी हुई पड़ी है। ऑफिस में सीनियर से झड़प हो गई, क्लाइंट ने बुलाकर डील कैंसिल कर दी और इस चक्कर में उसकी गर्लफ्रेंड जो की थियटर में फ़िल्म देखने के लिए उसके इंतज़ार कर रही थी उसके फोन बार बार आ रहे थे । फ़िल्म की टिकिट काग़ज़ पैसे सब पर्स में था.। अब उसके पास घर जाने का भी किराया नहीं था। 


अमीर, राजेश की सारी बात बड़े गौर और दिलचस्पी के साथ सुन रहा था वो समझा गया उसे एक दोस्त की मदद की दरक़ार है। उसने अपने सभी जेब टटोल लिए लेकिन कुल मिलाकर 250 से ज़्यादा रूपये वो नहीं जुटा सका । 


राजेश अमीर के बारे में जान गया था कि अमीर उसकी मदद करना चाहता है लेकिन उसने मना कर दिया। अमीर के कहने पर राजेश ने रिया को कॉल कर सारी बात कह डाली और न आ पाने की मज़बूरी भी। थोड़ी देर बाद रिया ने राजेश को 2000/रूपये उसके मोबाइल पर ट्रांसफर कर दिए । वो खुद ऑटो करके घर चली गई। राजेश ने अमीर को धन्यवाद दिया लेकिन अमीर ने राजेश को चाय पर उसके घर चलने के लिए मना लिया।

 

अमीर एक पेंटर था उसके हाथ पेंट ब्रश पकड़ते ही खुदबखुद हरक़त में आ जाते थे । उसके घर पहुँच कर ही राजेश को उसकी कला को परखने का मौक़ा मिला । दोनों में चाय पर खूब बातें हुई । अचानकर राजेश को नींद आने लगी और वो वहीँ उसके सोफे पर बैठे बैठे सो गया। 


जब राजेश की आंख खुली तो उसने खुद को अमीर के बेड पर अचेत और बिना कपड़ो के निर्वस्त्र पाया । पास ही उसकी एक न्यूड पेंटिंग के साथ कुछ रंगों की कलाकारी को आखरी ज़ामा पहनाने की कोशिश में जुटा अमीर प्यार से उसको निहार रहा था। वो राजेश की न्यूड तस्वीर पर हाथ फेरते हुए कहता है। तुम्हारे साथ कम समय में एक अटूट संबंध बन गया है, तुम्हें उस संबंध का वास्ता है । तुम कल फिर आना। 

राजेश मूक बधिर बना एकटक उसको घूरता रहता है। 



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